कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में कहा जा रहा है कि बहुत हंगामा होगा और पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे जी-23 के नेता पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बहाने आलाकमान को घेरेंगे। लेकिन बैठक में सब उलटा हुआ। पार्टी आलाकमान के फैसलों पर सवाल उठाने की बजाय पार्टी के नेताओं ने आगे बढ़ कर हर फैसले का समर्थन किया। यहां तक कि कैप्टेन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने के फैसले का भी विरोध नहीं हुआ। सोचें, जी-23 के नेता और पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने कैप्टेन का खुल कर समर्थन किया था। फिर भी कार्य समिति का कोई सदस्य कैप्टेन के समर्थन में नहीं बोला।
उलटे गुलाम नबी आजाद ने कैप्टेन को हटाने का समर्थन किया। उन्होंने आगे बढ़ कर कहा कि कैप्टेन को एक साल पहले हटाना चाहिए था। इस पर सोनिया गांधी ने उनसे सहमति जताई और कहा है कि कैप्टेन को हटाने में देरी हुई। सोचें, आजाद जी-23 का नेतृत्व कर रहे हैं और मनीष तिवारी को उम्मीद होगी कि वे कैप्टेन को हटाने पर सवाल उठाएंगे। उलटे उन्होंने कहा कि कैप्टेन को पहले ही हटा देना चाहिए था। इसी तरह नवजोत सिंह सिद्धू से पार्टी को नुकसान होने की बात कही गई तो सारे नेताओं ने इस पर सहमति जताई।
चुनाव में कांग्रेस की ओर से उठाए गए मुद्दों पर भी कार्य समिति के सारे सदस्य एक राय से सहमत हुए। राहुल गांधी के फिर से अध्यक्ष बनने के सवाल पर भी कार्य समिति के सारे सदस्य एक राय थे। ध्यान रहे बैठक शुरू होने से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल के समर्थन में बयान दिया था और उससे पहले कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी गांधी परिवार के समर्थन में बोले थे।
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