कांग्रेस पार्टी के नाराज नेताओं के जमावड़े में पटियाला की सांसद परनीत कौर भी शामिल हुईं। कांग्रेस के कई नेताओं ने इस पर सवाल उठाया है। कांग्रेस के एक जानकार नेता ने ध्यान दिलाया है कि गुलाम नबी आजाद के घर चली पांच घंटे की मीटिंग के बाद जो बयान जारी किया गया उसमें कहा गया है कि ‘हम कांग्रेस के लोग मिले’, लेकिन क्या परनीत कौर को अब कांग्रेस का नेता माना जाना चाहिए, जबकि उन्होंने पंजाब में खुल कर भाजपा के लिए प्रचार किया है और वोट मांगा है? कांग्रेस कार्य समिति के एक सदस्य का कहना है कि कांग्रेस से नाराज होना एक बात है और भाजपा के लिए प्रचार करना दूसरी बात है।
ध्यान रहे परनीत कौर के पति कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ कर अलग पार्टी बनाई है और भाजपा से तालमेल करके चुनाव लड़े हैं। उनके भाजपा से तालमेल करने के बाद कई बार परनीत कौर ने कहा कि उनके लिए पार्टी से ज्यादा अहम परिवार है। यानी वे कांग्रेस सांसद बाद में हैं और अमरिंदर सिंह की पत्नी पहले हैं। पटियाला में अमित शाह के कार्यक्रम की तैयारियों के सिलसिले में हुई भाजपा की बैठक में भी परनीत कौर शामिल हुईं और उन्होंने प्रचार के दौरान भाजपा के लिए वोट मांगा। तभी कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनके बैठक में शामिल होने का मतलब है कि बैठक भाजपा के समर्थन की है। अगर बैठक करने वाले ईमानदारी से कांग्रेस के साथ होते तो वे परनीत कौर को रोकते। इसी तरह यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि शंकर सिंह वाघेला कब से कांग्रेस के हो गए? उन्होंने तो लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ दी थी और बाद में वे एनसीपी में चले गए थे। उनकी कांग्रेस में कब वापसी हुई है, जो कांग्रेस नेता के तौर पर उन्होंने बयान पर दस्तखत किया है?
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