देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर की बनाने की चर्चा इन दिनों बंद हो गई है। कोरोना वायरस की महामारी शुरू होने से थोड़ा पहले ही यह चर्चा बंद हो गई थी क्योंकि उसी समय से अर्थव्यवस्था में गिरावट शुरू हो गई थी। अब कहीं इसकी बात नहीं होती है। उलटे आर्थिकी के जानकार और भाजपा के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पिछले दिनों ट्विट करके कहा कि डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की गिरती कीमत की वजह से अर्थव्यवस्था का आकार सिकुड़ रहा है और यह तीन ट्रिलियन डॉलर से घट कर 2.8 ट्रिलियन डॉलर पर आ जाएगा। सोचें, बड़ा होने की बजाय अर्थव्यवस्था का आकार छोटा हो रहा है।
इस बीच अब उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर की बनाने का ऐलान किया है। इसके लिए राज्य सरकार को सलाहकार की जरूरत है। राज्य योजना विभाग की ओर से अखबारों में विज्ञापन दिया गया है, जिसमें आर्थिक जानकारों से आवेदन मांगा गया है। कहा गया है कि राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा कर एक ट्रिलियन डॉलर का बनाने में सहयोग, सलाह देने के लिए सलाहकारों की जरूरत है। 15 मार्च से एक महीने तक आवेदन करने का समय दिया गया है।
सोचें, इस शिगूफे का क्या मतलब है? उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आकार अभी ढाई सौ अरब डॉलर से भी कम का है। वित्त वर्ष 2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश का अर्थव्यवस्था का आकार 230 अरब डॉलर का है। इसे एक हजार अरब डॉलर का बनाने के लिए 770 अरब डॉलर बढ़ाना होगा। देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य महाराष्ट्र है, जिसका आकार 430 अरब डॉलर का है। यूपी की अर्थव्यवस्था का आकार उसके मुकाबले आधा है फिर भी तीन गुने से ज्यादा बढ़ाने के लिए सलाहकार खोजे जा रहे हैं। अगले दो चुनावों तक यह शिगूफा चलता रहेगा।
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