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UP Assembly Elections Samajwadi Party Congress BJP and BSP are fighting the battle of Uttar Pradesh on the basis of political songs | UP Assembly Elections: ‘सुर संग्राम’ में जो जीता उसी को मिलेगी उत्तर प्रदेश में सत्ता की कुर्सी?

UP Chunav 2022: रैलियों और चुनावी सभाओं पर कोरोना महामारी की वजह से लगी रोक ने उत्तर प्रदेश के सियासी दलों को डिजिटल रूप से चुनाव प्रचार करने को मजबूर कर दिया है. इसलिए राजनीतिक दल अब ऑनलाइन चुनावी कैंपेन, हैशटैग के साथ-साथ पॉलिटिकल सॉन्ग का भी खूब जम कर इस्तेमाल कर रहे हैं.

UP Assembly Elections: 'सुर संग्राम' में जो जीता उसी को मिलेगी उत्तर प्रदेश में सत्ता की कुर्सी?

उत्तर प्रदेश में गानों के जरिए जीत की तैयारी कर रहे हैं राजनीतिक दल.

उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election) नजदीक है, कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की वजह से जहां चुनाव आयोग ने जन सभाओं और रैलियों पर रोक लगा दी है, तो वहीं राजनीतिक पार्टियां अब डिजिटल तरीके से अपने प्रचार-प्रसार में लग गई हैं. सोशल मीडिया पर कैंपेन, हैशटैग के साथ-साथ अब राजनीतिक पार्टियां (Political Parties) गानों के जरिए भी धड़ल्ले से अपना प्रचार कर रही हैं. इस सुरों की जंग में समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी समेत तमाम छोटे-बड़े दल हिस्सा ले रहे हैं.

राजनीतिक पार्टियों की बड़ाई करते ये गाने सिर्फ हिंदी में ही नहीं, बल्कि यूपी में बोली जाने वाली तमाम भाषाओं में रिलीज हो रहे हैं. खासतौर से भोजपुरी और अवधी में. सबसे बड़ी बात यह है कि जनता इन गानों को पसंद भी कर रही है. यू-ट्यूब पर इन्हें भारी भरकम व्यूज मिल रहे हैं. हर पार्टी अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इन गानों को जमकर शेयर कर रही है और उनके समर्थक इन्हें घर-घर तक फेसबुक, व्हाट्सएप के माध्यम से पहुंचाने का काम कर रहे हैं.

सुरों की रेस में बीजेपी

भारतीय जनता पार्टी को चुनाव प्रचार में डिजिटल माध्यमों का प्रयोग करने वाली सबसे मजबूत पार्टी माना जाता है. इसलिए जब बात गानों से प्रचार-प्रसार की हो तो इसमें भी बीजेपी पीछे नहीं है. 20 जनवरी को बीजेपी ने अपने यूट्यूब चैनल के होम पेज पर एक गाना पिन किया, जिसका नाम था ‘भूल नहीं जाना रे’ इस गाने में गायक यूपी की जनता से अपील करता हुआ नजर आता है कि पब्लिक को इस बार भी बीजेपी को वोट करना है. गाने में 5 सालों में बीजेपी द्वारा किए गए कामों को भी गिनाया जाता है.

इसके बाद एक गाना और रिलीज होता है जिसका नाम है ‘भगवा रंग चढ़ने लगा है’ इस गाने में सिंगर कन्हैया मित्तल के साथ मनोज तिवारी भी नजर आते हैं. दरअसल एक तरफ जहां ‘भूल नहीं जाना रे’ में बीजेपी के विकास कार्यों को गिनाया गया है, वहीं मनोज तिवारी के इस गाने में काशी, मथुरा और अयोध्या का जिक्र है. यानि बीजेपी धार्मिक और विकास दोनों मुद्दों को गानों के जरिए भुनाना चाहती है. दिनेश लाल निरहुआ और बीजेपी नेता रवि किशन भी गानों की इस होड़ में पीछे नहीं हैं. रवि किशन के गाने ‘यूपी में सब बा’ में जहां उत्तर प्रदेश की उपलब्धियों को गिनाया गया है, वहीं निरहुआ के गाने ‘आएंगे फिर योगी ही’ ने बीजेपी समर्थकों के मन में उत्साह भरने का काम किया है. हालांकि रवि किशन के गाने यूपी में सब बा को काउंटर करते हुए, एक भोजपुरी आर्टिस्ट नेहा सिंह राठौर का गाना ‘यूपी में का बा’ भी इन दिनों खूब वायरल हो रहा है. इस गाने में नेहा सिंह राठौर योगी सरकार को कई मुद्दों पर घेरती नजर आ रही हैं.

समाजवादी पार्टी भी पीछे नहीं है

सैफई महोत्सव के लिए कुख्यात समाजवादी पार्टी अपने कला प्रेम के लिए जानी जाती है. इसलिए चुनाव प्रचार में भी गानों के इस्तेमाल में वह पीछे क्यों रह जाती. समाजवादी पार्टी के यूट्यूब चैनल पर एक गाना ‘जनता पुकारती है अखिलेश आइए’ जमकर चल रहा है. इस गाने को बिलाल सहारनपुरी ने लिखा है और अल्तमश फरीदी ने गाया है. लेकिन खास बात यह है कि इस गाने में समाजवादी पार्टी की ओर से मौजूदा सरकार पर कोई तंज नहीं कसा गया है बल्कि 2012 से 2017 के बीच किए गए अखिलेश यादव के कामों को दर्शाया गया है. कुल मिलाकर कहें तो इस गाने के जरिए समाजवादी पार्टी जनता को यह संदेश देना चाहती है कि अगर अखिलेश यादव की फिर सरकार बनती है तो प्रदेश में कैसे खुशहाली आएगी. हालांकि दूसरी ओर एक और गाना ‘हुंकार’ रिलीज हुआ है, जिसमें बीजेपी को दम भर घेरा गया है. इस गाने में करोना महामारी से लेकर महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी जैसे तमाम मुद्दों पर समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को घेरा है.

वहीं एक और गाना रिलीज हुआ है जिसका शीर्षक है ‘एक बार मुझे फिर दिल दे दो, सबका प्यार अखिलेश हूं मैं’ इस गाने में अखिलेश यादव के संघर्ष के साथ-साथ खुशहाली के दृश्य दिखाए गए हैं. इसमें अखिलेश का मुस्कुराता चेहरा, मार्च करते हुए अखिलेश, परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए अखिलेश और साइकिल चलाते हुए अखिलेश यादव देखे जा सकते हैं.

कांग्रेस और बीएसपी भी लड़ने के पूरे मूड में

कांग्रेस पार्टी ने इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सबसे अलग दांव चला है, यानि महिलाओं का दांव. प्रियंका गांधी वाड्रा ने टिकट वितरण में 40 फ़ीसदी महिलाओं को आरक्षण देने की बात करके यूपी की आधी आबादी को अपनी ओर करने का प्रयास किया है. इसलिए कांग्रेस ने अपना जो चुनावी गाना लॉन्च किया, वह भी नारी शक्ति पर ही केंद्रित था. ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ को कांग्रेस ने इस बार के चुनाव में न सिर्फ अपना नारा बनाया है, बल्कि इसे एक गाने में भी तब्दील किया है. जिसकी शुरुआत ही मां दुर्गा को समर्पित गीत ऐगिरी नंदिनी से होती है. इस पूरे गाने में महिलाओं के संघर्ष के साथ-साथ इंदिरा गांधी और प्रियंका गांधी का चेहरा भी दिखाई देता है.

अगर बात करें बहुजन समाज पार्टी की तो इस बार के विधानसभा चुनाव में वह इतनी सक्रिय नहीं है, जितनी कि पिछले चुनावों में नजर आई थी. मायावती भी अब लोगों से संपर्क करते हुए कम ही नजर आती हैं. ऐसा लगता है जैसे राजनीति में उनकी सक्रियता शून्य हो गई है. हालांकि भीम म्यूजिक नाम के एक यूट्यूब चैनल पर बीएसपी का कैंपेन सॉन्ग जरूर रिलीज हुआ है जिसका नाम है ‘आ रही हैं सब की बहन जी’ इस पूरे गाने में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि उत्तर प्रदेश में गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार और बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने के लिए मायावती ही पर्याप्त हैं.

ऐसे गानों पर चुनाव आयोग क्या करता है

अब सवाल उठता है कि क्या यह गाने चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद भी बजेंगे? जाहिर सी बात है जब यह इंटरनेट पर होगा तो लोग इन्हें सुनेंगे ही. लेकिन 2019 के चुनावों के दौरान एक बड़ी मजेदार बात सामने आई थी. दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, आकाशवाणी शिवपुरी ने चुनाव आचार संहिता के दौरान ऐसे किसी भी गाने को बजाने से मना कर दिया था जिसमें किसी पार्टी के सिंबल का जिक्र होता हो. आकाशवाणी का कहना था कि उन्हें चुनाव आयोग से ऐसा निर्देश है.

दरअसल जब आकाशवाणी के कार्यक्रम ‘आपकी फरमाइश’ में मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति ने सरस्वती चंद्र फिल्म का गाना ‘फूल तुम्हें भेजा है खत में, फूल नहीं मेरा दिल है’ सुनने की फरमाइश की, तो कार्यक्रम यह गाना नहीं बजाया गया. वजह बताई गई की इसमें फूल का जिक्र है जो बीजेपी के चुनाव चिन्ह को दर्शाता है. इसी तरह एक श्रोता ने ‘हाथी मेरा साथी’ गाने की फरमाइश की तो इसे भी नहीं बजाया गया, क्योंकि इसमें बीएसपी और कांग्रेस के चुनाव चिन्ह का जिक्र होता है. चुनाव चिन्ह तो दूर की बात है आकाशवाणी शिवपुरी ने उन अभिनेता और अभिनेत्रियों से जुड़े गाने भी बजाने से इंकार कर दिया था, जो किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध रखते हैं. इनमें हेमा मालिनी,, जयाप्रदा, उर्मिला मातोंडकर, शत्रुघ्न सिन्हा, राज बब्बर, सनी देओल, मनोज तिवारी, दलेर मेहंदी और हंसराज हंस जैसे गायक शामिल थे.

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Written by rannlabadmin

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