कपिल सिब्बल की राज्यसभा खत्म हो रही है। वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं और सात जुलाई को उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। मई-जून में किसी समय वहां चुनाव होंगे। 2016 में जब वे राज्यसभा के लिए चुने गए थे तब राज्य में कांग्रेस के पास 28 विधायक थे और बचे हुए वोट का इंतजाम समाजवादी पार्टी ने कर दिया था, जिसकी उस समय राज्य में सरकार थी। अब कांग्रेस के पास उत्तर प्रदेश में कुछ नहीं है। उसके सिर्फ दो विधायक जीते हैं। समाजवादी पार्टी और उसकी सहयोगियों के पास 125 सीटें हैं, जिनके दम पर उसे तीन सीटें मिल सकती हैं। तीन सीट जीतने के बाद सपा गठबंधन के पास 22 वोट बचेंगे लेकिन उनका कोई इस्तेमाल नहीं है क्योंकि गैर भाजपा दलों के पास राज्य में सिर्फ पांच वोट हैं। उन्हें मिला लें तब भी कुल वोट 27 होंगे, जबकि एक सीट जीतने के लिए 34 वोट चाहिए। Rajya Sabha Kapil sibbal
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सिब्बल को पता है कि कांग्रेस उनको कहीं से भी राज्यसभा की सीट देने की स्थिति में है। बिहार में सीट मिल सकती है, लेकिन वह भी तब मिलेगी, जब लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव एक सीट कांग्रेस के लिए छोड़ें। बिहार में राजद गठबंधन को दो सीटें मिलेंगी। झारखंड में भी कांग्रेस गठबंधन को एक सीट मिलेगी। सिब्बल इन दोनों राज्यों में प्रयास कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस कतई नहीं चाहेगी कि पार्टी आलाकमान के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे सिब्बल को कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां उम्मीदवार बनाएं। ऐसा लग रहा है कि सिब्बल ने कांग्रेस में हर तरह से प्रयास कर लिया है और कहीं से उम्मीद नहीं दिख रही है इसलिए वे गांधी परिवार के खिलाफ बयान दे रहे हैं। हालांकि सिब्बल की ताकत यह है कि वे सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील हैं और अदालती पैंतरों में माहिर हैं। इसलिए दस तरह के मुकदमों में फंसे प्रादेशिक क्षत्रप उनको राज्यसभा दे सकते हैं। राजद, जेएमएम, कांग्रेस, टीआरएस, डीएमके, वाईएसआर किसी भी क्षत्रप के सहारे वे राज्यसभा में जा सकते हैं।
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