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Rajya Sabha Congress Lawyers कांग्रेस के वकीलों की राज्यसभा

कांग्रेस की राजनीति करने वाले सारे वकील राज्यसभा में हैं। वैसे दूसरी पार्टियों के वकील  नेताओं को भी कम तरजीह नहीं मिलती है, लेकिन कांग्रेस की बात ही और है। भाजपा के वकील नेता भी सांसद हैं और मंत्री भी हैं लेकिन उनकी संख्या थोड़ी कम हो गई, जबकि कांग्रेस में वकीलों की राज्यसभा में संख्या बढ़ गई है। मुश्किल यह है कि एक वकील नेता आनंद शर्मा की राज्यसभा खत्म हो गई है और तीन वकील नेताओं- पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और विवेक तन्खा का कार्यकाल पूरा होने वाला है। एक अन्य वकील केटीएस तुलसी पहले मनोनीत श्रेणी में राज्यसभा सदस्य थे और 2020 में उनको छत्तीसगढ़ से उच्च सदन में भेजा गया। अभिषेक मनु सिंघवी पश्चिम बंगाल से राज्यसभा में हैं।

बहरहाल, पी चिदंबरम महाराष्ट्र, कपिल सिब्बल उत्तर प्रदेश से और विवेक तन्खा मध्य प्रदेश से राज्यसभा में हैं और अगले एक-दो महीने में तीनों का कार्यकाल खत्म होने वाला है। सो, तीनों वकील नेता फिर से राज्यसभा की सदस्यता की जुगाड़ में लगे हैं। कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है पी चिदंबरम को एक बार फिर महाराष्ट्र से राज्यसभा में भेजा जाएगा। वहां खाली हो रही छह सीटों में से सत्तारूढ़ गठबंधन को चार सीटें मिलेंगी, जिनमें से कांग्रेस को एक सीट मिलेगी और वह सीट चिदंबरम को जाएगी। मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस को एक सीट मिलेगी और कहा जा रहा है कि वह विवेक तन्खा को मिल सकती है। कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के खेमे में होने के बावजूद तन्खा को फिर से राज्यसभा भेजने का समर्थन प्रदेश के दोनों बड़े नेता कर रहे हैं। इसलिए उनको भी दिक्कत नहीं होनी चाहिए।

असली दिक्कत कपिल सिब्बल को है। पिछली बार वे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के समर्थन से जीते थे। हालांकि तब कांग्रेस के पास अपने 28 विधायक थे। इस बार कांग्रेस के सिर्फ दो विधायक हैं और सपा भी पिछली बार की तरह सरकार में नहीं है। सो, सिब्बल का फिर उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में पहुंचान संभव नहीं है। लेकिन वे भी इतनी आसानी से अपनी सदस्यता नहीं जाने देंगे। ध्यान रहे वे पहले बिहार से राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। तभी इस बार भी वे बिहार या झारखंड से उच्च सदन में जा सकते हैं।

आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य थे। लेकिन हिमाचल से कांग्रेस किसी को राज्यसभा भेजने में सक्षम नहीं थी। सो, शर्मा अब राजस्थान या हरियाणा से उच्च सदन में जाने की जुगाड़ में लगे हैं। वे भी कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 के सदस्य हैं। इस समूह की राजनीति में वे हरियाणा के नेता भूपेंदर सिंह हुड्डा के करीब रहे हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि गुलाम नबी आजाद भी हुड्डा के करीबी हैं और पहले हरियाणा के प्रभारी भी रहे हैं। वे भी राज्यसभा की जुगाड़ में लगे हैं।

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Written by rannlabadmin

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