भगवंत सिंह मान मुख्यमंत्री तो पंजाब के बने हैं पर उनके कार्यकाल की मियाद को लेकर दिल्ली में क़यास लगने शुरू हो गए हैं। मान सरकार की मियाद को लेकर ज्योतिषियों की भविष्यवाणी तो सोशल मीडिया पर वायरल हो ही रही हैं साथ ही दिल्ली और पंजाब की राजनीति में दखल रखने वाले कई सिख और ग़ैर सिखों का भी मानना है कि जिस तरह से मान को पंजाब की बागडोर सौंपी गई है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दखल चल रही है उससे इस बात को बल मिलने लगा है कि मान को साल -डेढ़ साल से ज़्यादा बतौर मुख्यमंत्री नहीं रहने दिया जाए। ख़ासतौर से पिछले दिनों कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू और मान की लंबी मुलाक़ात के बाद तो लोगों को ऐसी उम्मीद ज़्यादा दिखने लगी है।
तभी राजनीति के गलियारों में यह चर्चा चल निकली है कि संभव है कि आधे-अधूरे राज्य दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही पंजाब का मुख्यमंत्री बन कर दिल्ली की कमान उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सोंप दें और मान का मान किसी दूसरे रूप में रखा जाए। अब मान को लेकर ऐसी अटकलें भले दो महीने बाद लगाई जा रही हैं पर लोगों को तो पहले ही से मान पंजाब के मुख्यमंत्री कम और मेहमान ज़्यादा लगने लगे थे। सरकार बनने के साथ ही दिल्ली के विधायक राघव चड्डा को पंजाब का प्रभारी बनाना की बात तो छोड़िए दूसरे राज्य में जाकर बिजली विभाग के अधिकारियों से मुख्यमंत्री मान की ग़ैर मौजूदगी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बातचीत कुछ तो सवाल खड़े करती ही है।
ख़ासतौर से तब जबकि मुख्यमंत्री मान पहले ही राज्य में फ़्री बिजली, डोर टू डोर राशन और महिलाओं को हर महीने 1000 रूपए देने की घोषणा मुख्यमंत्री मान पहले ही कर चुके हों। अब भला कोई यह कहे कि केजरीवाल ने ऐसा कर मान सरकार को एक संदेश तो दे ही दिया और रही बची कसर पंजाब सरकार ने दिल्ली सरकार से समझौता कर पूरी कर दी तो इसमें सोचने की बात भी कैसी। यानी सरकार नहीं अपनी तों रिमोट कंट्रोल सही। अब अपने केजरीवाल से भी कोई यह पूछे कि दिल्ली सरकार की नाकामियों या काम न करने देने का ठीकरा वे केन्द्र सरकार पर फोड़ बैठते हैं पर पंजाब यूँ चली सरकार की कमियों का ठीकरा वे किस पर फोड़ पाएँगे। तब भला लोग मान सरकार की मियाद पर क़यास लगाने लगें तो दोषी भी कौन ?
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