ऐसा लग रह है कि भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने की कोई जल्दी नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव में अब महज दो महीने रह गए हैं। जुलाई अंत में राष्ट्रपति का चुनाव होगा। लेकिन अभी तक भाजपा ने इसकी कोई पहल नहीं की है। बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर पार्टी नेताओं की एक बैठक हुई थी, जिसमें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर चर्चा हुई। लेकिन यह भी कोई औपचारिक वार्ता नहीं थी। जयपुर में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक हुई है, लेकिन उसमें भी मुद्दा संगठन चुनाव और विधानसभा चुनाव का रहा। हालांकि पार्टी की ओर से कुछ नामों की चर्चा कराई गई है और उन पर प्रतिक्रिया जुटाई जा रही है पर कुल मिला कर भाजपा जल्दबाजी में नहीं दिख रही है।
भाजपा के आराम से बैठे रहने का कारण यह है कि राष्ट्रपति पद पर चुनाव जीतने के लिए जरूरी वोट के लगभग बराबर वोट भाजपा के पास है। इसलिए वह जिसे मैदान में उतारेगी वह जीतेगा। उप राष्ट्रपति पद के लिए कोई मुकाबला ही नहीं होगा क्योंकि उसमें भाजपा के पास अपना बहुमत है। इसलिए उम्मीदवार तय करने में भी भाजपा को आम सहमति बनाने की जरूरत नहीं है। दूसरे, इस बार भाजपा ने आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की ऐसी चर्चा कराई है, जिसकी कोई काट अभी नहीं दिख रही है। अगर भाजपा देश का पहला आदिवासी राष्ट्रपति बनाने का कार्ड चलती है तो विपक्ष के पास भी कोई रास्ता नहीं बनेगा और कई विपक्षी पार्टियां भी मजबूरी में सरकार का साथ देंगी।
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