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Places of Worship Act के खिलाफ कथावाचक Sri Devkinandan Thakur Ji भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, दाखिल की याचिका

सार

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में प्रख्यात कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने भी याचिका दाखिल की है। देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, ‘ये कानून लोगों को धार्मिक अधिकार से वंचित करता है।

 

विस्तार

देश में इस समय ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्म भूमि ईदगाह प्रकरण पर जमकर चर्चा  हो रही है। वाराणसी और मथुरा कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इससे जुड़े मामलों पर सुनवाई का दौर चल रहा है। इन सुनवाइयों में 1991 का पूजा स्थल कानून सबसे ज्यादा चर्चा में है। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ अर्जी दाखिल की।

भगवताचार्य देवकी नंदन ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ अर्जी दाखिल करते हुए  कहा है कि ‘ये कानून लोगों को धार्मिक अधिकार से वंचित करता है। इसलिए इस कानून में बदलाव होना चाहिए, या इसे खत्म किया जाना चाहिए। देवकी नंदन ने कहा कि सनातन अनुयायियों को पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अगर किसी ने हमारे साथ क्रूरता की है, तो हम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर अर्जी और याचिका दाखिल कर सकते हैं। उसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इस अर्जी को सुप्रीम कोर्ट स्वीकार करेगा या नहीं इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है।

क्या है कानून 

इस कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव सरकार पूजा स्थल कानून लेकर आई थी। अयोध्या का मामला उस वक्त कोर्ट में था इसलिए उसे इस कानून से अलग रखा गया था।


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Written by Amardeep Jha

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