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oil relief तेल की राहत कितने दिन की?

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी के लिए केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क में कटौती की है। पिछले छह महीने में यह दूसरी कटौती है। पहली कटौती नवंबर के पहले हफ्ते में हुई थी, जब केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर पांच रुपए और डीजल पर 10 रुपए उत्पाद शुल्क घटाया था। उससे जो राहत मिली थी वह साढ़े चार महीने रही थी। नवंबर में कमी हुई थी और जनवरी में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनावों की घोषणा हुई थी। पांचों राज्यों के चुनाव नतीजे 10 मार्च को आए थे। उसके बाद कोई 12 दिन कीमतें स्थिर रहीं और फिर 22 मार्च से उनमें बढ़ोतरी शुरू हुई।

नवंबर में केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर पांच रुपया उत्पाद शुल्क कम किया था और 22 मार्च से शुरू हुई बढ़ोतरी के बाद दो हफ्ते में कीमत 10 रुपए 40 पैसे प्रति लीटर बढ़ गई। यानी सरकार ने जितना घटाया उसके दोगुना सरकारी कंपनियों ने बढ़ा दिया। यह नाक घुमा कर पकड़ने का तरीका है। तभी अब सवाल है कि इस बार जो राहत मिली है वह कब तक रहेगी? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि अगले दो-चार महीने में कोई चुनाव नहीं है। अब अगला चुनाव नवंबर-दिसंबर में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में है। यह भी दिलचस्प है कि पूरे देश में एक साथ चुनाव की बात करने वाली सरकार और चुनाव आयोग दो राज्यों के चुनाव साथ नहीं कराते हैं। पिछली बार हिमाचल प्रदेश का चुनाव नौ नवंबर को और गुजरात का चुनाव नौ दिसंबर 2017 को हुआ था। पता नहीं इस बार क्या होगा?

बहरहाल, ऐसा संभव नहीं है कि पेट्रोल, डीजल के दाम आज कम किए गए हैं तो अगले छह महीने यानी नवंबर-दिसंबर तक कम रहेंगे। अब भी रूस-यूक्रेन का युद्ध चल रहा है और तेल उत्पादक देश उत्पादन नहीं बढ़ा रहे हैं। इस बीच खबर है कि कच्चे तेल की कीमतों में एक बार फिर से बढ़ोतरी शुरू हो गई है। पिछले एक हफ्ते में कच्चे तेल के दाम में सात फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसलिए यह तय है कि जैसे जैसे कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी वैसे वैसे कंपनियों पर कीमत बढ़ाने का दबाव होगा। माना जा रहा है कि कंपनियां जल्दी ही अपना खेल शुरू कर सकती हैं यानी 25 से 50 पैसे प्रति लीटर रोजाना की बढ़ोतरी का खेल।

सो, संभव है कि सरकार ने जो राहत दी है वह एकाध महीने से ज्यादा न चले। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों का बढ़ना जारी रहा तो खुदरा कीमतें भी बढ़ेंगी। लेकिन उससे पहले इस बात का प्रचार जोर-शोर से चलेगा कि सरकार ने बड़ी राहत दी। सोचें, देश के लोगों की कैसी कंडिशनिंग हो गई है कि कटौती के बाद भी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 95 रुपए लीटर से ज्यादा है और देश के कई शहरों में कीमत अब भी एक सौ रुपए लीटर से ज्यादा है फिर भी कहा जा रहा है कि पेट्रोल सस्ता हो गया! जब कीमत 70 रुपए लीटर थी तो एक रुपया बढ़ने से पेट्रोल महंगा होता था लेकिन अब 120 लीटर से साढ़े नौ रुपया कम होने पर सस्ता हो जाता है!

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Written by rannlabadmin

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