Monsoon Forecast 2023: भारत में इस बार मॉनसून के आगमन में थोड़ी विलंब हो सकती है। मौसम विभाग ने बताया है कि केरल में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की पहुंच में देरी हो सकती है। मॉनसून का देशभर में लोगों की बेसब्री से इंतजार होता है क्योंकि इससे उन्हें गर्मी से आराम मिलता है और खेती-किसानी भी इस पर निर्भर होती है। मॉनसून उत्तरी भारतीय खाड़ी की ओर आते हुए मौसम को बदलते हुए दिखाता है। केरल में मॉनसून की प्रारंभिक तारीख 1 जून है और इसमें 7 दिनों का उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। इस बार केरल में मॉनसून 4 जून को आ सकता है।
पिछले कुछ दिनों में, मई महीने में, दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई इलाकों में वर्षा हुई और लोगों को ठंड का अनुभव होने लगा। कुछ लोगों में मॉनसून के आगमन में देरी की चिंता बढ़ गई थी। हालांकि, वर्तमान में ज्यादा देरी का कोई आशंका नहीं है।
यह महत्वपूर्ण है कि अगर मॉनसून में वास्तविकता में देर होती है तो खरीफ मौसम में मुख्य फसलों की बुआई में देरी हो सकती है। अर्थात, मॉनसून खेती को प्रभावित कर सकता है। ग्रामीणों की आय के साथ-साथ, देश की आर्थिक प्रगति भी मॉनसून पर निर्भर करती है।
मानसून की देरी के कारण, खरीफ मौसम में फसलों की बुआई और प्रमुख खेती कार्य देरी से हो सकते हैं। यह फसलों के उचित विकास और उत्पादन पर असर डाल सकती है। इससे किसानों को कम फसल या अनुपातित उत्पादन की समस्या हो सकती है, जिससे उन्हें आर्थिक और सामाजिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
Monsoon Forecast 2023: भारत में मॉनसून के आगमन में देरी होने के कई कारण हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
- मॉनसून संबंधित मानसिकता: मानसून के आगमन में देरी होने का पहला कारण मॉनसून संबंधित मानसिकता हो सकती है। मॉनसून की प्राकृतिक प्रक्रिया में अनियमितताएं हो सकती हैं जो उसके आगमन में देरी का कारण बना सकती हैं। यह मानसिकता मॉनसून विभाग के अनुमानों में भी प्रभाव डाल सकती है।
- इल्नियो या एल निनो प्रभाव: इल्नियो या एल निनो एक महत्वपूर्ण जलवायु प्रभाव है जो मॉनसून को प्रभावित कर सकता है। इल्नियो की तर्ज पर जब भूमि और समुद्री सतह के तापमान में अनियमितता होती है, तो मॉनसून के आगमन में देरी हो सकती है। यह जलवायु प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में मॉनसून के आगमन में देरी पैदा कर सकता है।
- वायुमंडलीय परिवर्तन: वायुमंडलीय परिवर्तन भी मॉनसून के आगमन में देरी का कारण बन सकता है। यह परिवर्तन जैसे उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में अनियमितताएं, हवाओं के संक्रमण में बदलाव और दबाव सिस्टम में परिवर्तन के कारण हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप मॉनसून के आगमन में देरी हो सकती है।
- ग्लोबल क्लाइमेटिक प्रभाव: ग्लोबल क्लाइमेटिक प्रभाव भी मॉनसून के आगमन में देरी का कारण बन सकता है। इसमें जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत की कमी आदि शामिल हो सकते हैं जो मॉनसून की तारीखों और प्रक्रिया पर प्रभाव डाल सकते हैं।
- प्राकृतिक विषमता: मॉनसून के आगमन में देरी का कारण प्राकृतिक विषमता भी हो सकती है। यहां इससे मतलब है कि पिछले वर्षों की तुलना में प्रकृति अपेक्षित समय से पहले या बाद में मॉनसून की प्रक्रिया को प्रारंभ कर सकती है। इससे मॉनसून के आगमन में देरी हो सकती है।
ये थे कुछ मुख्य कारण जो 2023 में भारत में मॉनसून के आगमन में देरी का कारण बन सकते हैं। हालांकि, मॉनसून एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसमें अनियमितताएं हो सकती हैं। मॉनसून के आगमन में देरी संभावित है, लेकिन इसकी अंतिम तारीखें और प्रक्रिया के बारे में निश्चितता के लिए मौसम विभाग के आंकड़ों और अनुमानों का सहारा लेना उचित होगा।
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