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keep eye on nepal नेपाल पर रहे नज़र

चीन के विदेश मंत्री नेपाल की यात्रा करने वाले हैँ। बताया जाता है कि अमेरिकी संस्था एमसीसी करार को लेकर चीन की चिंताएं रही हैं, उन पर इस दौरान बातचीत होगी। ये घटनाक्रम भारत के लिए भी अहम हैँ। भारत को इस पर निगाह रखनी चाहिए, ताकि भारत उचित नेपाल नीति बना सके।

हाल की घटनाओं से यह साफ है कि नेपाल को अपने प्रभाव क्षेत्र में रखने के लिए इस समय अमेरिका और चीन में होड़ मची हुई है। हाल में नेपाल सरकार ने अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) से 50 करोड़ डॉलर की सहायता लेने के लिए हुए करार के संसदीय अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी कराई। उस दौरान अमेरिका और चीन ने नेपाल सरकार के फैसले को प्रभावित करने की खुलेआम कोशिश की। एमसीसी करार के अऩुमोदन में हो रही देर को लेकर जब अमेरिका ने नेपाल को धमकी दी, तो चीन ने उसकी आलोचना की थी। उसने अमेरिकी नजरिए को ‘जोर-जबरदस्ती वाली कूटनीति’ कहा था। बाद में जब अनुमोदन प्रस्ताव पारित हो गया, तो चीन के दो अखबारों- चाइना डेली और ग्लोबल टाइम्स में इस बारे में टिप्पणियां छपीं। उनमें कहा गया कि एमसीसी करार में कई खतरे हैं। उससे दक्षिण एशिया में शांति और विकास के लिए खतरा पैदा होगा। अब खबर है कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी इसी महीने नेपाल की यात्रा करेंगे। वे संभवतः 26-27 मार्च को काठमांडू में रहेंगे। नेपाली मीडिया में नेपाल के विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से छपी खबर के मुताबिक वांग के साथ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय संपर्क विभाग के प्रमुख सोंग ताओ भी यहां आएंगे।

बताया गया है कि अब चीन नेपाल की स्थिति का प्रत्यक्ष आकलन करना चाहता है। स्पष्ट है कि इस यात्रा को यहां बहुत अहमियत दी जा रही है। वांग अपनी यात्रा के दौरान संभवतः यह भांपने की कोशिश करेंगे कि क्या एमसीसी करार पर अमल से चीन की सुरक्षा और रणनीतिक मकसदों के लिए कोई चिंता पैदा होगी। गौरतलब है कि चीन ने नेपाल में काफी निवेश कर रखा है। उससे भी ज्यादा उसकी भविष्य में वहां निवेश करने की योजना है। नेपाल ने 2017 में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में शामिल होने के लिए करार किया था। लेकिन इस पर काम ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया है। अब समझा जाता है कि वांग यहां इस परियोजना के रास्ते में आई रुकावटों पर भी बातचीत करेंगे। नेपाली संसद में एमसीसी करार के अनुमोदन को लेकर चीन ने जो चिंताएं जताई थीं, उन पर भी बातचीत होगी। ये तमाम घटनाक्रम भारतीय हितों के लिहाज से अहम हैँ। इसलिए भारत को इन पर सख्त निगाह रखनी चाहिए, ताकि वह उभर रही नई परस्थितियों के मुताबिक भारत अपनी नीति बना सके।

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Written by rannlabadmin

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