Jharkhand Migrant Laborer’s in Mali: अफ्रीकी देश माली में गिरिडीह एवं हजारीबाग जिले के 33 प्रवासी श्रमिक (Migrant Labours) फंसे हुए हैं एवं उन्हें उनके काम का मेहनताना भी नहीं दिया जा रहा है.
फोटोः अफ्रिकी देश माली में फंसे झारखंड के श्रमिक.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Cm hemant soren) को यह जानकारी मिली थी कि अफ्रीकी देश माली में गिरिडीह एवं हजारीबाग जिले के 33 प्रवासी श्रमिक (Migrant Labours) फंसे हुए हैं एवं उन्हें उनके काम का मेहनताना भी नहीं दिया जा रहा है. तीन महीने से अधिक वक्त बीत जाने के बाद भी कंपनी द्वारा प्रवासी श्रमिकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है. मामले पर त्वरित संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने मंत्री श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विभाग सत्यानंद भोक्ता को मामले में त्वरित कार्रवाई कर श्रमिकों तक हर संभव मदद पहुंचाने का निर्देश दिया. जिसपर त्वरित कार्रवाई करते हुए मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने ट्वीटर के जरिए ही मजदूरों का संपर्क सूत्र पता कर लेबर कमिश्नर, झारखंड सरकार को माली स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क करने का निर्देश दिया.
मजदूरों से तत्काल संपर्क स्थापित कर एवं उनसे उनकी समस्या की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के उपरांत लेबर कमिश्नर, ए मुथूकुमार ने माली स्थित भारतीय दूतावास के राजनयिक अंजनी कुमार से संपर्क कर मजदूरों की समस्या के समाधान का आग्रह किया.
दूतावास के जरिए मजदूरों तक पहुंची मदद
अफ्रीकी देश माली के बमाको स्थित भारतीय दूतावास ने राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी पर संज्ञान लिया. तत्पश्चात दूतावास ने मजदूरों एवं कंपनी से संपर्क स्थापित किया. दोनों ही पक्षों को मामले के समाधान के लिए 18 जनवरी को बैठक के लिए आमंत्रित किया गया. भारतीय दूतावास की मध्यस्थता में आयोजित बैठक के दौरान कंपनी के अधिकारियों ने मजदूरों का बकाया वेतन भुगतान करने एवं सभी 33 मजदूरों के माली से रांची तक की फ्लाइट टिकट की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी ली. साथ ही, फ्लाइट मिलने तक ये सभी मजदूर श्रमिक जब तक माली में रहेंगे, उनके रहने, खाने एवं किसी भी प्रकार की आपात व्यवस्था के लिए कंपनी जिम्मेवार होगी. इस मध्यस्थता पत्र पर श्रमिकों की तरफ से एक प्रतिनिधि एवं कंपनी की ओर से एक प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर किया. साथ ही, भारतीय दूतावास के दो उच्च अधिकारियों ने इस पर सहमति जताई. दूतावास ने कंपनी को मजदूरों से नो ड्यूज सर्टिफिकेट प्राप्त कर उनकी घर वापसी की व्यवस्था पूरी कर सूचित करने का निर्देश भी दिया है.
हेमंत सोरेन ने प्रवासी श्रमिकों को दिया था मदद का भरोसा
बता दें कि 16 दिसंबर को रांची स्थित प्रोजेक्ट भवन में आयोजित कार्यक्रम में SRMI(Safe Responsible Migration Initiative) योजना के लॉन्च के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यभर से दूसरे राज्यों एवं विदेशों तक काम की तलाश में जाने वाले श्रमिकों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि कोरोना काल के दौरान प्रवासी श्रमिकों के साथ देशभर में हुई त्रासदी को देखते हुए राज्य सरकार इस समस्या के समाधान के लिए लगातार प्रयासरत है. साथ ही, प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए इस योजना की शुरुआत की जा रही है. हमारा प्रयास है कि अगर हमारे राज्य का श्रमिक या कोई भी कामगार कमाने के लिए राज्य से बाहर किसी भी स्थान पर जाता है , तो वह निर्भीक एवं सुरक्षित महसूस करे कि उनके राज्य की सरकार किसी भी प्रकार की समस्या की स्थिति में उनके साथ है. इस योजना की शुरुआत से पहले एवं योजना की शुरुआत के बाद भी ऐसे कई मौके आए जब राज्य के बाहर किसी विपरीत परिस्थिति में फंसे श्रमिकों ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई एवं मुख्यमंत्री ने उन मामलों में पूरी संवेदनशीलता दिखाते हुए श्रमिकों की सकुशल घर वापसी की व्यवस्था सुनिश्चित की.
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