यह साफ है कि चीन की चिंता इस समय अमेरिका और पश्चिमी खेमे को कमजोर करने की है। वैसे में अगर भारत और पश्चिमी खेमे में थोड़ी भी दूरी बनती है, तो यह उसके माफिक बैठता है। चीनी मीडिया ने इस संदर्भ कहा कि भारत एक ‘आत्म-सम्मान’ वाला देश है, जो पश्चिमी दबाव में नहीं आएगा।
भारत और चीन के सैन्य कमांडरों की वार्ता के 15वें दौर में बात तो आगे नहीं बढ़ी, लेकिन माहौल जरूर बदला हुआ नजर आया। खास कर चीन का सुर बदला हुआ है। हालांकि चीन ने कहीं यह संकेत नहीं दिया है कि अप्रैल 2020 में लद्दाख क्षेत्र में चीनी फौज की भारतीय इलाके में घुसपैठ को वापस लेने के लिए वह तैयार हो सकता है, लेकिन उसके सरकारी मीडिया में वार्ता की सकारात्मक तस्वीर पेश की गई। स्पष्टतः इस बदलाव का कारण यूक्रेन युद्ध है। इस मामले में रूस की निंदा ना कर भारत ने अपने को उन देशों में शामिल किया, जिन्हें तटस्थ समझा गया है। पश्चिमी मीडिया में तो यहां तक कहा गया कि इस मसले पर भारत, चीन और पाकिस्तान एक जगह खड़े दिख रहे हैँ। यह साफ है कि चीन की चिंता इस समय अमेरिका और पश्चिमी खेमे को कमजोर करने की है। वैसे में अगर भारत और पश्चिमी खेमे में थोड़ी भी दूरी बनती है, तो यह उसके माफिक बैठता है। चीनी मीडिया ने इस संदर्भ कहा कि भारत एक ‘आत्म-सम्मान’ वाला देश है, जो पश्चिमी दबाव में नहीं आएगा। यानी चीन का मकसद पश्चिमी खेमे और भारत के बीच बनी दूरी को बढ़ाना है। मगर इसके लिए वह सीमा विवाद पर अपने रुख में कोई नरमी नहीं बरतेगा, यह भी उसने साफ कर दिया है।
तभी सरकारी मीडिया की टिप्पणियों में कहा गया कि सीमा के सवाल पर भारत ने हठी रवैया अपना रखा है, जबकि चीन का रुख है कि 1962 के युद्ध के बाद जो यथास्थिति बनी, पश्चिमी क्षेत्र में वही सीमा है। पश्चिमी क्षेत्र में अक्साई चिन और लद्दाख के एक बड़े इलाके पर चीन ने 1962 में कब्जा कर लिया था। अब वह भारत पर दबाव डाल रहा है कि भारत उसे स्थायी सीमा के रूप में स्वीकार कर ले। जबकि यही सिद्धांत वह पूरब में लागू नहीं करना चाहता, जहां अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा लगातार ठोकता जा रहा है। इस बीच यूक्रेन युद्ध से दुनिया में नई स्थिति बन गई है। पश्चिमी देशों ने जिस तरह यूक्रेन को अकेला छोड़ दिया, उससे यह धारणा बनी है कि उनके भरोसे किसी देश को कोई जोखिम नहीं उठाना चाहिए। ऐसे में भारत के पास क्या रास्ता है? उसे कूटनीतिक समाधान की तरफ बढ़ना है या अपने भरोसे अपनी जमीन वापस लेनी है, इस बारे में दो टूक फैसला लेना होगा।
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