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Hooda Rajya Sabha राज्यसभा चुनाव हुड्डा की पहली परीक्षा

कांग्रेस पार्टी में हरियाणा की पूरी कमान भूपेंदर सिंह हुड्डा के हाथ में सौंप दी है। हुड्डा विधायक दल के नेता हैं और उनकी पसंद से उनके करीबी उदय भान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। दो साल पहले राज्यसभा की सीट भी उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को दी गई थी। इस तरह से लगभग पूरी पार्टी उनकी कमान में है। बताया जा रहा है कि उदय भान को प्रदेश अध्यक्ष बनाने से पहले हुड्डा ने पार्टी आलाकमान से वादा किया था कि वे राज्यसभा की दो में से एक सीट कांग्रेस को जीत कर देंगे। अब राज्यसभा चुनाव की घोषणा हो गई है और एक सीट पार्टी को जीत कर देना हुड्डा की पहली और सबसे बड़ी परीक्षा है। राहुल गांधी से करीबी रणदीप सुरजेवाला के अलावा कुमारी शैलजा, किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई आदि सबके विरोध के बावजूद हुड्डा को कमान मिली तो उसकी पहली और तात्कालिक वजह यह थी कि राज्य में होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को एक सीट जीतनी है।

अब सवाल है कि हुड्डा राज्यसभा की एक सीट जीत पाएंगे या नहीं? पिछली बार यानी 2022 में भी बिल्कुल ऐसी ही स्थिति और तब निवर्तमान सांसद कुमारी शैलजा की टिकट काट कर दीपेंद्र हुड्डा को दी गई थी और वे जीत गए थे। इस बार पार्टी की अंदरूनी राजनीति राज्यसभा की गणित पर भारी पड़ रही है। उदय भान को अध्यक्ष बनाए जाने से पहले रणदीप सुरजेवाला ने कुलदीप बिश्नोई से मुलाकात की थी और उसके बाद बिश्नोई अध्यक्ष पद के दावेदार बन गए थे। जब उनको अध्यक्ष नहीं बनाया गया तो वे बागी तेवर दिखा रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की।

हरियाणा में दो सीटों पर चुनाव हैं और विधानसभा 90 सदस्यों की है। सो, एक सीट जीतने के लिए 31 वोट की जरूरत है। कांग्रेस के पास ठीक इतने ही वोट हैं। यानी एक भी वोट इधर-उधर हुआ तो कांग्रेस नहीं जीत पाएगी। जानकार सूत्रों के मुताबिक कुलदीप बिश्नोई पार्टी से अलग हो सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस को एक अतिरिक्त वोट का जुगाड़ करना होगा। यह जुगाड़ आसान नहीं होगा क्योंकि विधानसभा में 57 विधायक सरकार के हैं, जिनमें भाजपा के अपने 40 और जननायक जनता पार्टी के 10 विधायक हैं। इसके अलावा छह निर्दलीय और एचएलपी का एक विधायक सरकार के साथ है। इनके अलावा दो विधायक बचते हैं, जिनमें एक इनेलो के अभय सिंह चौटाला हैं, जिनका कांग्रेस के साथ जाना संभव नहीं है। दूसरे निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू हैं, जिन पर कुछ दिन पहले छापे वगैरह पड़े थे। वे सरकार के विरोध में है लेकिन कांग्रेस के साथ कैसे आएंगे, यह देखने वाली बात होगी।

हरियाणा में 2016 में कांग्रेस के पास सिर्फ 15 विधायक थे और राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने हुड्डा की इच्छा के विपरीत आरके आनंद को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वे हार गए थे। तब कांग्रेस के सभी विधायकों का वोट अवैध हो गया था। वह हुड्डा का दांव था। कहा जा रहा है कि इस बार उनके विरोधी यह दांव उन पर आजमा सकते हैं। इस तरह हरियाणा की एक सीट तलवार की धार पर है। अगर हुड्डा कांग्रेस उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करते हैं तो उनका कद बढ़ेगा और अगर कांग्रेस नहीं जीत पाई तो उनके लिए कई मुश्किलें खड़ी होंगी।

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Written by rannlabadmin

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