चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछा है कि क्यों नहीं उनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म कर दी जाए? इसका जवाब 10 मई तक देना है। इससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करके मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्थर की खदान की लीज दिए जाने के बारे में वस्तुनिष्ठ जानकारी मांगी थी। राज्य सरकार की ओर से दिए गए जवाब में माना गया है कि मुख्यमंत्री को लीज आवंटित हुई थी, लेकिन उनकी मंशा इसका लाभ लेने की नहीं थी और उन्होंने लीज वापस कर दी है। लेकिन लीज का नवीनीकरण उनके नाम से हुआ था। इससे उनके खिलाफ लाभ के पद का मामला बनता है।
हेमंत सोरेन के जवाब देने को लेकर दो बातें हो रही हैं। पहली बात तो यह है कि उनकी ओर से एक जनहित याचिका के जवाब में जो बात हाई कोर्ट को दिया गया है उसे ही उनकी ओर से चुनाव आयोग को भी दे दिया जाएगा। उन्होंने हाई कोर्ट में कहा है कि खदान लीज को लेकर दायर की गई याचिका निजी बदले की भावना से की गई और इसके पीछे राजनीतिक मकसद है। उन्होंने याचिकाकर्ता और उसके परिवार के बारे में भी जानकारी दी है। यहीं जवाब चुनाव आयोग को दिया जा सकता है। दूसरी चर्चा यह है कि मुख्यमंत्री की मां का इलाज हैदराबाद में चल रहा है। सो, वे हैदराबाद जा सकते हैं और उनके वकील जवाब देने के लिए थोड़ा और समय देने की मांग कर सकते हैं। लेकिन इसमें मुश्किल यह है कि मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र का कार्यकाल 14 मई को पूरा हो रहा है और वे रिटायर होने से पहले इस पर कोई फैसला करना चाहते हैं। एक तीसरी और बहुत हल्की चर्चा मुख्यमंत्री के इस्तीफा देना और अपने पिता शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की है।
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