नई दिल्ली। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की जिला अदालत में सोमवार से सुनवाई शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज इस मामले की सुनवाई करेंगे। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में आठ हफ्ते में सुनवाई पूरी करने को कहा है। इस बीच काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने कहा है कि वे सोमवार को एक याचिका देकर ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा-अर्चना शुरू करने की मांग करेंगे।
गौरतलब है कि पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी की पूजा अर्चना की इजाजत मांगने की याचिका दायर की थी। इस याचिका पर अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। सर्वे की रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दी गई है, जिसमें बताया जा रहा है परिसर में शिवलिंग मिला है और कई दीवारों पर डमरू, कमल, त्रिशुल, स्वास्तिक आदि के निशान मिले हैं। सर्वे को कानून के खिलाफ बताते हुए इसे रूकवाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को आठ हफ्ते में सुनवाई करने को कहा और तब तक कथित शिवलिंग को सुरक्षित रखने और नमाज जारी रखने का आदेश दिया। मुस्लिम पक्ष इस शिवलिंग को वजूखाने का फव्वारा बता रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सोमवार यानी 23 मई को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई शुरू होगी। इस मामले में याचिका दायर करने वाली महिलाओं के अलावा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और सरकारी के आवेदन और आपत्तियों पर जिला जज सुनवाई करेंगे। जिला जज की अदालत इस मसले पर भी सुनवाई करेगी कि ज्ञानवापी मामले में 1991 का बना धर्मस्थल कानून लागू होता है या नहीं।
इस बीच काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा है कि ज्ञानवापी परिसर में जो शिवलिंग मिला है, उसकी नियमित पूजा अर्चना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए वे 23 मई को अदालत में याचिका दाखिल करेंगे। डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा कि इतने लंबे इंतजार के बाद बाबा मिले हैं, तो उनकी पूजा अर्चना न होना शिव भक्तों के लिए बेहद कष्टकारी होगा। उन्होंने कहा कि अदालत में याचिका दाखिल कर मांग करेंगे कि उन्हें बाबा के शृंगार, भोग-राग, स्नान, साफ-सफाई और पूजा-पाठ का अधिकार मिले।
India
GIPHY App Key not set. Please check settings