दिल्ली में तीन नगर निगमों को मिला कर एक कर दिया गया और तीन की जगह एक नियम आयुक्त की नियुक्ति भी हो गई है। तीनों निगमों के एकीकरण के नाम पर दिल्ली में निगम का चुनाव टला हुआ है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार परिसीमन करा रही है और उसके बाद सीटों की संख्या 272 से काफी कम हो जाएंगी। इसे लेकर दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी परेशान है क्योंकि पंजाब के चुनाव नतीजों के बाद उसको अंदाजा था कि वह दिल्ली में नगर निगम में जीत दर्ज करेगी। पर निगम का चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टला है। इस बीच दिल्ली विधानसभा को खत्म किए जाने की चर्चा तेज हो गई है।
ध्यान रहे दिल्ली में विधानसभा 1993 में बनी थी और लंबे समय के बाद 1993 में मुख्यमंत्री चुनने की परंपरा शुरू हुई थी। अब आम आदमी पार्टी को लग रहा है कि लगातार दो बार मिली हार के बाद भाजपा की केंद्र सरकार विधानसभा खत्म करके केंद्र सरकार इसे केंद्र शासित प्रदेश बना सकती है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुंह जबानी बयान देते रहे हैं। लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई आंदोलन नहीं शुरू किया और अब लग रहा है कि दिल्ली का अर्ध राज्य का दर्जा भी कहीं खत्म न हो जाए। दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के अधिकारों से जुड़ा एक मामला अदालत में लंबित है। उसके फैसले के बाद गतिविधियां तेज होंगी।
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