कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। उदयपुर में कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में इस बारे में चर्चा हुई थी और कांग्रेस के शीर्ष नेता इस बात पर सहमत थे कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए राष्ट्रपति का चुनाव परीक्षा है। अगर कांग्रेस चाहती है कि अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष का बड़ा मोर्चा उसकी कमान में लड़े तो उसके लिए जरूरी है कि राष्ट्रपति पद का विपक्ष का उम्मीदवार कांग्रेस तय करे। अगर कांग्रेस आम सहमति बना कर साझा उम्मीदवार नहीं उतारती है तो इसका मतलब होगा कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष उसकी कमान में लड़ने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां भी राष्ट्रपति का उम्मीदवार तय करने की खुली छूट नहीं दे रही हैं।
कांग्रेस के साथ मुश्किल यह है कि उसके नेतृत्व वाला यूपीए अब नहीं है या है तो उसमें गिनी चुनी पार्टियां हैं। बिहार में गठबंधन टूट गया है और महाराष्ट्र व झारखंड में सरकार को समर्थन देने के बावजूद कांग्रेस शिव सेना और जेएमएम पर अपनी राय थोपने की स्थिति में नहीं है। तभी कांग्रेस के नेता ऐसा उम्मीदवार तलाश रहे हैं, जिस पर सबकी सहमति बन जाए। कांग्रेस दक्षिण भारत के किसी नेता को उम्मीदवार बनाने के पक्ष में है ताकि दक्षिण की पार्टियों का समर्थन मिले। इससे चंद्रशेखर राव की मुहिम पर भी रोक लगेगी और वाईएसआर रेड्डी के लिए दुविधा पैदा होगी। दक्षिण भारत के किसी बड़े नेता को उम्मीदवार बनाने से डीएमके, जेडीएस, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस आदि को साथ लिया जा सकता है।
मुश्किल यह है कि कांग्रेस के पास अपना कोई बड़ा और सर्वमान्य नेता नहीं है और वह एचडी देवगौड़ा या चंद्रबाबू नायडू के नाम पर सहमत नही होगी। शरद पवार हारने के लिए चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। बहरहाल, उम्मीदवार के नाम के संकट के बीच कांग्रेस नेता अपनी सहयोगी पार्टियों से बातचीत कर रहे हैं। उनका प्रयास किसी तरह से साझा उम्मीदवार उतारने और उसके लिए 30-35 फीसदी वोट हासिल करने की है।
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