कांग्रेस आलाकमान से नाराज कुछ नेता गुलाम नबी आजाद के घर पर मिले और उसके बाद एक बयान जारी किया, जिसमें कई बात कही गई है। हालांकि ज्यादातर बातों का कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस के नेता भी हैरान हैं कि इस तरह का बयान जारी करके लिए इतना तामझाम करने की क्या जरूरत थी। जैसे इसमें कहा गया कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को मजबूत करने की जरूरत है और कांग्रेस को समान विचार वाली पार्टियों से बातचीत करनी चाहिए। यह बहुत जेनेरिक सी बात है, जो सबको पता है और सबको यह भी पता है कि इसमें क्या क्या समस्याएं हैं। इसमें खासतौर से यह बात कही गई कि कांग्रेस को सामूहिक और समावेशी नेतृत्व तैयार करना चाहिए और सभी स्तर पर फैसले से पहले सामूहिक और समावेशी तरीका अपनाना चाहिए।
सोचें, हर स्तर पर फैसला करने का सामूहिक या समावेशी तरीका क्या हो सकता है? क्या कांग्रेस को किसी राज्य में विधानसभा का उम्मीदवार तय करना है तो पार्टी के सारे नेताओं से एक-एक सीट पर उम्मीदवारों के नाम पूछे जाएं या नाम बताएं जाएं और सबकी सहमति से नाम तय हो? जैसे सारी पार्टियां करती हैं वैसे ही कांग्रेस भी उम्मीदवारों के लिए छंटनी समिति बनाती है। प्रदेश कमेटी की राय से छंटनी समिति नामों की सूची बनाती है, जिसे केंद्रीय चुनाव समिति में मंजूरी दी जाती है। यहीं तरीका बाकी पार्टियों में भी अपनाया जाता है।
इसी तरह क्या नाराज नेता चाहते हैं कि किसी प्रदेश में अध्यक्ष नियुक्त करने या कोई पदाधिकारी बनाने से पहले कांग्रेस आलाकमान कार्य समिति और उससे बाहर के सारे नेताओं से मंजूरी ले? क्या इस कथित जी-23 के नेताओं की सामूहिक नेतृत्व से मुराद यह है कि हर फैसले के बारे में पार्टी आलकमान उनको बताए और उनकी सहमति से फैसला करे? क्या ये नेता बता सकते हैं कि कांग्रेस का मौजूदा संगठन, मौजूदा पदाधिकारी या मौजूदा कार्य समिति कैसे समावेशी नहीं है? क्या उसमें कश्मीर से कन्याकुमारी तक और गुजरात से बंगाल तक नेता सदस्य नहीं हैं?
असल में इन नेताओं ने बहुत सतही बातें कही हैं उसका एकमात्र मकसद यह दिखाना था कि वे कुछ विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कोई सार्थक या रचनात्मक बात नहीं कही है। कपिल सिब्बल ने बड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि राहुल गांधी कौन हैं, जो उन्होंने चरणजीत सिंह चन्नी के नाम की घोषणा की? सोचें, कैसा बेवकूफाना सवाल है? राहुल गांधी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं और एकमात्र जीवित पूर्व अध्यक्ष हैं। क्या भाजपा में कोई पूछता है कि अमित शाह क्या हैं, जो वे पार्टी की सारी नीतिगत घोषणाएं करते हैं? सिब्बल को भाजपा की तरह जीत तो चाहिए लेकिन उस तरह का संगठन या उस तरह की व्यवस्था कांग्रेस में नहीं चाहिए।
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