पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से इस बार कई जिंक्स टूटे हैं, जैसे उत्तर प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री पद पर रहते नोएडा नही जाता था लेकिन योगी आदित्यनाथ कई बार नोएडा गए और फिर भी लगातार दूसरी बार चुनाव जीते। ऐसे इन चुनाव नतीजों से भाजपा का एक जिंक्स टूटा है। निश्चित रूप से भाजपा का ध्यान भी इस पर गया होगा कि 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से भाजपा अपने शासन वाले राज्यों में चुनाव नहीं जीत पा रही थी। यहां तक कि 2014 के बाद हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के पसीने छूट गए थे। लेकिन इस बार भाजपा अपने शासन वाले चार राज्यों में पूर्ण बहुमत से वापस लौटी है।
ध्यान रहे 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा उसी साल तीन राज्यों- महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में जीती थी। लेकिन 2019 के चुनाव में वह महाराष्ट्र व झारखंड की सत्ता से बाहर हो गई और हरियाणा भी उसे बहुमत नहीं मिला। दुष्यंत चौटाला की मदद से सरकार बनानी पड़ी। इसी तरह 2018 में भाजपा अपने शासन वाले तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में हार गई। यहां तक कि गुजरात में भी 2017 में भाजपा सौ का आंकड़ा नहीं छू पाई। बाद में उसने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ कर सौ का आंकड़ा पार किया।
पिछले आठ साल में असम एक अपवाद है, जहां भाजपा ने लगातार दूसरी बार बड़ी जीत हासिल करके सरकार बनाई। तभी उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेता भी आशंकित थे। सबसे ज्यादा आशंका उत्तर प्रदेश को लेकर थी क्योंकि भाजपा को प्रादेशिक पार्टियों के सामने लड़ने में ज्यादा दिक्कत होती है और कुछ समय पहले ही पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी ने भाजपा को निर्णायक रूप से हराया था। लेकिन इस बार राज्यों में नहीं जीतने का जिंक्स टूट गया। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर चारों राज्यों में भाजपा ने वोट प्रतिशत बढ़ाया और पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने का जनादेश हासिल किया।
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