तू डाल-डाल,मैं पात-पात। भाजपा और आप पार्टी में कुछ ऐसा ही चल रहा है ,चुनावों की राजनीति को लेकर। दिल्ली और पंजाब के चुनावों में जीत की ज़मीन तैयार करने के लिए आप पार्टी ने जो कुछ किया ,भाजपा ने उसे चुनाव में तबज्जो देना ज़रूर समझा। यानी चुनाव वाले प्रदेश में जनता को फ़्री वाला लॉलीपॉप । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शायद अपनी इसी राजनीतिक ट्रिक से दिल्ली जीती ,वो भी 70 में से 67 जीत कर।
केजरीवाल का यह खेल पंजाब चला और खूब चला ।वहाँ भी धमाके की जीत। केजरीवाल के इस खेल से क्या कांग्रेस और क्या अकाली और क्या भाजपा सभी चारों खाने चित हो लिए। और अब बारी हिमाचल की है। केजरीवाल ने यहाँ भी फ़्री का खेलना ही था पर इससे पहले भाजपा ने खेल लिया। यानी जिस बिजली,पानी या फिर फ़्री बस यात्रा की घोषणा अपने केजरीवाल चंद दिनों करते उससे पहले ही भाजपा की हिमाचल राज्य इकाई ने कर दी। यानी हिमाचल में अगर भाजपा की सरकार बनती है तो जनता को यह सुविधाएँ मिल सकेंगीं। सरकार बनते ही वहाँ 125 यूनिट बिजली और गाँव देहात में पानी फ़्री की घोषणा की गई है। और तो और सरकार ने एलान कर दिया है कि गाँव के लोगों को पानी का बिल नहीं भेजा जाएगा।
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अब भाजपा ने सरकार बनाने के लिए केजरीवाल का फ़ंडा इस्तेमाल कर लिया लेकिन इससे केजरीवाल की टेंशन भी बढ़ गई है। बेचारे क्या करें क्या नहीं इसी ऊहापोह में बताए जा रहे हैं। बे भाजपा से आगे निकलने के लिए क्या रास्ता तलाशते हैं यह वे ही जाने पर फिलाहल तो उन्होंने निगम टिकट माँगने वालों को हिमाचल प्रदेश जाकर फ़्री पार्टी की फ़्री सेबा करने का हुक्मनामा जारी किया है। अब सवाल तो यही है कि हिमाचल में बेचारी कांग्रेस क्या फ़्री कर पाती है और पंजाब के पड़ौसी राज्य हिमाचल में केजरीवाल पंजाब जीत से क्या हासिल कर पाते हैं।
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