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Akshaya Tritiya 2022 क्यों है ये खास दिन, और क्या है महत्व…

Akshaya Tritiya 2022 : हिंदू धर्म में हमेशा कोई ना कोई त्यौहार होता है इसलिए इसे सबसे खुशनुमा समुदाय माना जाता है. ऐसे में इस बार ईद के मौके पर हिंदू पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया का त्यौहार भी मनाया जाएगा. बता दें कि हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का काफी महत्व है और इस दिन सोने-चांदी की खरीदारी को काफी शुभ माना जाता है. तारीखों की बात करें तो हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्योहार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने पर सुख समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. एक और कारण से भी इस दिन का काफी महत्व है और वह है परशुराम भगवान की जन्म का.

Akshaya Tritiya 2022 :
Image Source : Sambad English

Akshaya Tritiya 2022 : परशुराम जयंती और ईद का त्यौहार इस बार एक ही दिन पड़ रहा है. इन त्योहारों को लेकर लोगों में खासा उत्साह है. तो आइए समझते हैं कि अक्षय तृतीया का महत्व क्यों है और इसके पीछे क्या पौराणिक कहानियां छिपी हुई है. कहानियों पर बात करने के पहले हम बता दें कि इस बार के ग्रह नक्षत्रों को देखकर ज्योतिषियों ने खरीदारी के लिए सबसे शुभ समय बता दिया है. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया 2022 की सुबह 5:59 से लेकर 4 मई 2022 को सुबह 5:38 तक है. खरीदारी के लिए सबसे शुभ समय दोपहर के 1:00 बजे से लेकर शाम 6:00 बजे तक का बताया गया है. यहां स्पष्ट करते हैं कि अलग-अलग जगहों पर ज्योतिष अलग-अलग समय बताते हैं.

Akshaya Tritiya 2022 : इस दिन घर के प्रमुख पुरुष और स्त्री को व्रत रखना चाहिए और सुबह स्नान करने के बाद पीले धारण करने चाहिए. घर पर विष्णु जी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान करा उन्हें तुलसी, पीले फूलों की माला और फल चढ़ाने चाहिए. इस दिन धूप और किसी की बातों से भी मां लक्ष्मी और विष्णु की पूजा की जानी चाहिए. इस दिन विष्णु चालीसा का पाठ और भगवान विष्णु से संबंधित ग्रंथों के पाठ का भी काफी महत्व है. पूजा पाठ के बाद घर के सभी सदस्यों को मिलकर भगवान विष्णु की आरती गानी चाहिए. अक्षय तृतीया के मौके पर दान देने का भी काफी महत्व है. कहा जाता है कि किसी जरूरतमंद व्यक्ति को इस दिन भोजन कराना काफी अच्छा माना जाता है.

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Akshaya Tritiya 2022 : पौराणिक कथाओं की बात करें तो अक्षय तृतीया का संबंध महाभारत से भी है. श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए कहा है कि यह परम पुण्यतिथि है इस दिन स्नान, दान, तप और तर्पण का 2 गुना फल मिलता है. अक्षय तृतीया के बारे में एक और कहानी प्रचलित है कहा जाता है कि पुराने समय में एक गरीब सदाचारी देवताओं में श्रद्धा रखने वाला वैश्य था. वह काफी गरीब था और जिस कारण वह व्याकुल रहता था. किसी ने उसे अक्षय तृतीया पर व्रत कर पूरे विधि विधान से पूजा करने को कहा. पूजा अर्चना के बाद वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना. इसी के बाद से समाज में अक्षय तृतीया का काफी महत्व बताया गया है.

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Written by rannlabadmin

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