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Agra News: बच्चे को मरा समझ अस्पताल में छोड़ भागे घरवालें फिर डॉक्टरों ने उठाया ये कदम

Live News Today: Agra में एक ऐसी खबर सामने आयी जिसने सबके रोंगटे खड़े कर दिए और सबकी संवेदनाएं जगा दी . दरअसल एक परिवार अपने बच्चे को अस्पताल में मरा हुआ समझ कर और पैसे ना होने की वजह से वहीं छोड़कर चला गया.

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अस्पताल प्रशासन ने बच्चे की हालत सुधरने पर और उसके जीवित होने की बात बताने के लिए परिवार को कई बार संपर्क किया गया . लेकिन किसी से बात नहीं हो सकी. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने बच्चे के जिंदा होने का वीडियो बनाकर परिवार के नंबर पर भी भेजा. तब जाकर कहीं परिजन बच्चे को लेने के लिए वापस अस्पताल पहुंचे.

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जानकारी के अनुसार Agra सिकंदरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत सिनर्जी प्लस हॉस्पिटल में इटावा के जैनई गांव निवासी रंजीत सिंह अपने 6 महीने के बच्चे को लेकर अस्पताल आये थे. बच्चे को बुखार, उल्टी और मल के रास्ते खून आने की शिकायत हुयी थी. जिसके लिए हॉस्पिटल में बच्चे का इलाज हो रहा था . हॉस्पिटल के डॉक्टर रनवीर त्यागी के अनुसार बच्चे की हालत बिगड़ने पर 20 जनवरी को उसे वेंटिलेटर पर रखकर इलाज हो रहा था. बच्चे के परिजन और रिश्तेदार उसे मरा हुआ समझकर बिना किसी बताए हॉस्पिटल से रफूचक्कर हो गए.

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सुबह तक बच्चे के घरवालों की तरफ से जब कोई संपर्क नहीं हो सका तो अस्पताल प्रशासन ने बच्चे के जिंदा होने का वीडियो बनाकर उसके पिता के मोबाइल पर भेजा . वहीं दूसरी तरफ उन्होंने बच्चे के जिंदा होने की सूचना सिकंदरा पुलिस को भी दी. पुलिस ने भी परिजनों से कई बार फोन किए लेकिन किसी ने भी उनका फोन नहीं उठाया. वहीं अस्पताल प्रशासन की तरफ से बताया गया कि बच्चे के इलाज के लिए उसके पिता से कोई भी पैसा नहीं लिया हैं .

बच्चे के पिता रंजीत का कहना है कि शादी के 10 साल बाद उन्हें पहला बेटा हुआ . जिसकी तबीयत बिगड़ने पर वह उसे अस्पताल लेकर आए . जहां डॉक्टरों ने उसे वेंटिलेटर पर रखा . वह यह देखकर घबरा गए की वेंटीलेटर पर बच्चे के इलाज का खर्च ज्यादा रहेगा और उनके पास देने के लिए पैसे भी नहीं थे. जिसके बाद वह बच्चे को मरा हुआ समझकर वहां से चले गए. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अस्पताल की तरफ से बनाए हुए वीडियो को देखा. तब वह अस्पताल वापस पहुंचे और अपने बच्चे को लेकर अब सैफई इलाज के लिए लेकर जा रहे हैं. वहीं अस्पताल प्रशासन की तरफ से उनसे कोई भी पैसा नहीं लिया है.

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Written by Sujata Kushwaha

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