माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर विघ्नेश्वर गणेश की आराधना की जाएगी । संकष्टी गणेश चतुर्थी पर चंद्रोदय काल के दौरान महिलाएं 21 जनवरी को निर्जला व्रत रखेंगी। शास्त्रीय मान्यताओं के मुताबिक, माताएं संतान की दीर्घायु, आरोग्यता, सुख-समृद्धि की कामना के लिए भगवान गणेश की विशेष रूप से उपासना की जाती हैं।

चंद्रोदय के उपरांत अर्घ्य देकर भगवान गणेश का विधि-विधान से पूजन किया जाएगा । काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पं. दीपक मालवीय ने बताया कि सनातन संस्कृति में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जी की विशेष आराधना होती है।
चतुर्थी तिथि 21 जनवरी को सुबह 7.26 बजे से लेकर 22 जनवरी शनिवार की सुबह 7.24 बजे तक होगी । चंद्रोदय रात 8.39 बजे होगा। चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय काल मिलने से माताएं 21 को निर्जला व्रत रखेंगी। पुराणों की माना जाये तो संकटा चौथ के दिन भगवान गणेश के जीवन पर एक बड़ा संकट आया था। उनको हाथी का मस्तक लगाया गया ।
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का व्रत करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन कथा सुनने मात्र से गणपति की कृपा प्राप्त होती है।
व्रत पूजन विधि
सुबह स्नान करने के बाद गणेश जी के व्रत का संकल्प लें। रात में नए वस्त्र धारण कर भगवान गणेश जी का पूजन करें। ओम गं गणपतये नम: मंत्र का जाप, गणेश स्तुति, गणेश चालीसा, संकटा चौथ व्रत कथा सुने ।
पूजन में पांच मौसमी फल के साथ ही काली तिल और गुड़ से बने हुए लड्डू, फूल-दुर्वा, अक्षत अर्पित करे । इसके बाद दूध से चंद्रदेव को अर्घ्य दें। पूजन के बाद फलाहार करे ।
Agra News: बालक की फिरौती में मांगे गए नाबालिग बहन के संग सात फेरे
GIPHY App Key not set. Please check settings