
नई दिल्ली। मूल रूप से हिंदी में लिखी गई किताब ‘ टॉम्ब ऑफ सैंड ‘ की लेखिका गीतांजलिश्री ने अपनी किताब के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार हांसिल किया है। वह अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। पुस्तक में एक 80 वर्षीय विधवा की कहानी है, जो 1947 में भारत और पाकिस्तान में उपमहाद्वीप के अशांत विभाजन के दौरान परम्पराओं को त्यागने और अपने अनुभवों का सामना करने की हिम्मत करती है।50,000 पाउंड (63,000 डॉलर) की पुरस्कार राशि को गीतांजलिश्री और उनके अमेरिकी अनुवादक डेज़ी रॉकवेल के बीच विभाजित किया जाएगा। लेखिका ने कहा मैं इस सम्मान से बड़ी चकित तथा प्रसन्न हूं। उन्होंने आगे कहा ,मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध और समृद्ध साहित्यिक परंपरा है।
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