लघुकथा- पैसा वसूल… (Short Story- Paisa Vasool…)

उफ़्फ़… सुंदर रंग और प्रिंट देखकर उसने जल्दी में ले लिए, लेकिन अब क़ीमत देखकर पैसे की बर्बादी पर खीज हो आई. किस ख़ूबी से बड़ी दुकानों पर हम बिना मलाल लुट आते हैं. पैसे की बर्बादी और अपनी नासमझी से मीरा का मन खिन्न हो गया. पांच सौ बिना सोचे लुटा आई और दस रुपए का गुब्बारा लेने के लिए सोच-विचार में पड़ गई.
जैसे ही कार सिग्नल पर रुकी रोती हुई एक सात-आठ साल की बच्ची मीरा की खिड़की का कांच ठकठका कर एक गुब्बारा लेने की मिन्नत करने लगी. कड़ाके की ठंड में भी वह मासूम आधी बांहों का पतला-सा फ्रॉक पहने रात के आठ बजे सिग्नल लाल होते ही रुकने वाली गाड़ियों के पास दौड़-दौड़कर गुब्बारे बेच रही थी. उसके रोने का कारण तो मीरा को पता नहीं, लेकिन भूख और ठंड ही होगी. जहां स्वेटर और शॉल ओढ़कर बंद कार में भी मीरा को ठंड लग रही थी, वहां वह बच्ची आधी बांहों का फ्रॉक पहने खुले में…
यह भी पढ़ें: प्रेरक प्रसंग- बात जो दिल को छू गई… (Inspirational Story- Baat Jo Dil Ko Chhoo Gayi…)
बच्ची ने फिर कांच ठकठका कर मीरा से मिन्नत की. मीरा उहापोह में पड़ गई. घर में बच्चा तो है नहीं फिर बेफ़ालतू में गुब्बारा लेकर क्या करे. तभी सिग्नल हरा हो गया और अरविंद ने गाड़ी आगे बढ़ा ली.
घर पहुंचकर भी मीरा उस बच्ची को भूल नहीं पा रही थी. रह-रह कर उसका रोता चेहरा मीरा की आंखों के सामने आ जाता.
मीरा बैग से मॉल से लाया सामान निकालने लगी. लाए हुए किचन टॉवल के पैकेट की क़ीमत पर अचानक उसका ध्यान गया.
पांच सौ रुपए?
मीरा ने पैकेट खोलकर टॉवल बाहर निकाले. छोटे-छोटे से तीन टॉवल.
उफ़्फ़… सुंदर रंग और प्रिंट देखकर उसने जल्दी में ले लिए, लेकिन अब क़ीमत देखकर पैसे की बर्बादी पर खीज हो आई. किस ख़ूबी से बड़ी दुकानों पर हम बिना मलाल लुट आते हैं. पैसे की बर्बादी और अपनी नासमझी से मीरा का मन खिन्न हो गया. पांच सौ बिना सोचे लुटा आई और दस रुपए का गुब्बारा लेने के लिए सोच-विचार में पड़ गई. तुरंत अरविंद से कहकर गाड़ी निकलवाई. दोनों बाज़ार गए और उस बच्ची के लिए दो स्वेटर और दो पजामे ख़रीदे. उसी चौरस्ते पर गाड़ी खड़ी की. ज़्यादा ढूंढ़ना नहीं पड़ा. वह पास ही एक फुटपाथ पर ठंड से ठिठुरती खड़ी थी. मीरा ने उसे कपड़े दिए. भौंचक होकर वह पहले तो मीरा का मुंह तकती रही, फिर गुब्बारे नीचे रखकर तुरंत ही उसने स्वेटर और पजामा पहन लिया. बाकि के कपड़े की थैली हाथ में पकड़ ली. अरविंद ने उसे पचास का नोट दिया और पांच गुब्बारे ख़रीद लिए.
यह भी पढ़ें: मन की बात- एक छोटा बच्चा (Motivational Story- Ek Chhota Bachcha)
बच्ची के गालों पर आंसुओं की लकीरों के बीच एक ख़ुशी और आभार भरी हंसी चमक उठी.
मीरा को लगा आज उसके पैसों की क़ीमत सच्चे अर्थों में कई गुना वसूल हो गई.

Photo Courtesy: Freepik
अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES
डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट
GIPHY App Key not set. Please check settings