मुंबई: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) द्वारा शनिवार को की गई कार्रवाई के बाद से जहां बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को लेकर चर्चा है. वहीं एक और नाम भी सुर्खियों में है और वो है समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) का. एनसीबी मुंबई के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को महाराष्ट्र का सिंघम माना जाता है, क्योंकि बिना किसी के दबाव में आए अपना काम करते हैं.
Sushant मामले में भी दिखाया था दम
समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) के नेतृत्व में NCB ने मुंबई की रेव पार्टी पर छापा मारकर ड्रग्स बरामद की थी. इस संबंध में आर्यन खान सहित आठ लोगों को हिरासत में लिया गया है. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जब सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के बाद बॉलीवुड में ड्रग्स एंगल सामने आया था, तब भी समीर वानखेड़े का नाम चर्चा में था. उस दौरान भी उन्होंने बिना किसी दबाव के अपना काम किया था.
Drugs मामलों के Experts हैं Wankhede
महाराष्ट्र के रहने वाले समीर वानखेड़े 2008 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं. भारतीय राजस्व सेवा ज्वाइन करने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर डिप्टी कस्टम कमिश्नर के तौर पर हुई थी. उस दौरान भी उन्होंने सिंघम की तरह अपनी ड्यूटी निभाई थी. उन्हें बाद में आंध्र प्रदेश और फिर दिल्ली भी भेजा गया. वानखेड़े को नशे और ड्रग्स से जुड़े मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है.
इन Celebrities पर कसा शिकंजा
समीर वानखेड़े ने सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती और उसके भाई से भी पूछताछ की थी. कुछ वक्त पहले उन्होंने एक्टर अरमान कोहली को गिरफ्तार किया था. इसके अलावा उन्होंने अभिनेत्री सारा अली खान, दीपिका पादुकोण और श्रद्धा कपूर के नारकोटिक्स कनेक्शन की भी जांच की थी. 2013 में समीर ने विदेशी मुद्रा मामले में मीका सिंह सिंगर को भी पकड़ा था. इतना ही नहीं उन्होंने अभिनेता अर्जुन रामपाल की गर्लफ्रेंड के भाई को भी ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार किया था.
पिछले साल रेड दौरान हुआ था Attack
समीर वानखेड़े के नेतृत्व में ही पिछले दो सालों के अंदर करीब 17 हजार करोड़ रुपये के नशे और ड्रग्स रैकेट का पर्दाफाश किया गया है. पिछले साल मुंबई में एक रेड के दौरान उनकी टीम पर हमला भी हुआ था. वानखेड़े को बेहद सख्त ऑफिसर माना जाता है. उनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी की है और वो केवल अपनी ड्यूटी पर ही फोकस करते हैं. हाई प्रोफाइल मामलों में दबाव काफी ज्यादा रहता है, लेकिन वानखेड़े को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.
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