Bharat Darshan Team की ओर से पूज्य श्री Devkinandan Thakur Ji महाराज के सानिध्य में 03 से 09 जून तक ब्रज दर्शन यात्रा – 2022 एवं श्रीमद भागवत कथा का आयोजन ठा. श्री प्रियाकांत जू मंदिर, शांति सेवा धाम, वृंदावन में किया जा रहा है।
श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की शुरुआत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थान के साथ की गई।
पूज्य महाराज श्री ने श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की शुरुआत में सभी भक्त जनों को- “गोपाल जी की वंदना” श्रवण कराई।
” जिसके घर में भागवत हो, जिसके ह्रदय में भागवत हो, जिसके कान में भागवत हो उसका काल कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। “
ब्रज दर्शन यात्रा के चतुर्थ दिवस पर भक्तजनों को पूज्य महाराज श्री संग बरसाना, नंदगांव एवं कोकिला वन के दर्शन करने का अवसर मिला। आज श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की शुरुआत में पूज्य महाराज श्री ने ब्रज यात्रा के महत्व पर विशेष चर्चा की और भक्त जनों को इस यात्रा से प्राप्त होने वाले सौभाग्य के बारे में भी बताया और कहा- पूरे भारत में 66 अरब तीर्थ हैं और वो सारे तीर्थ ब्रज 84 कोस के मध्य हैं।
आगे पूज्य महाराज श्री ने सवाल किया कि- आज दोपहर 12:30 बजे बरसाने की सीढ़ियां कौन-कौन उतर रहा था। कुछ भक्तों द्वारा जवाब दिए जाने के बाद महाराज जी ने कहा कि उन सीढियों पर जितनी देर आपके पैर जले हैं, वो पैर पैर नहीं जले, वो आपके सारे पाप जलकर भस्म हो गए। तन के सुख की खातिर मत रहो। इस तन से किए हुए पाप अगर तन के ही द्वारा भस्म कर लिए जाएं तो इससे अच्छा संयोग मनुष्य के जीवन में नहीं बन सकता। तन से किए हुए पापों को तन के द्वारा ही प्रयास करके समाप्त करना चाहिए।
कल कथा में नर्कों की चर्चा की गई थी। जिसे सुनकर कुछ भक्त भयभीत हो गए थे इसलिए आज यानि चतुर्थ दिवस पर पूज्य महाराज श्री ने उन भक्तों को नर्क से बचने का तरीका बताया और कहा- कि आपने कितने ही बुरे कर्म अपने जीवन में क्यों ना किए हों । लेकिन उनसे बचने का एक रास्ता आप सभी के पास है और वो है कल्याण । मरने से पहले अपने उन सभी बुरे कर्मों प्रश्चाताप करो। अगर हम मरने से पहले उन्हीं कर्मों का प्रायश्चित करलें। तो फिर हमें यमराज की यमपुरी में पापों को फल भोगने नहीं जाना पड़ेगा। प्रश्चाताप से अभिप्राय है कि जो हम सभी अच्छे कर्म करते हैं उनसे हमारे बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। पूज्य महाराज श्री ने भक्तजनों को बुर कर्म नष्ट करने के तरीके भी बताए- तीर्थ यात्राओं में जाने से भी बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। कथा व भजन सुनने से पाप नष्ट होते हैं। बड़ों का आदर करने से और माता पिता के चरणों में सर झुकाने से भी पाप नष्ट होते हैं।
पूज्य महाराज श्री ने कथा के दौरान ज्ञानवापी मंदिर का ज़िक्र करते हुए कहा- कि ज्ञानवापी मंदिर पर मुझे कोई आवश्यकता नहीं थी बोलने की, लेकिन मैं बोला और आगे भी बोलूंगा और यह निश्चित है। जो मैने टीवी चैनल्स पर कहा वहीं आज कहता हूं, सनातनी तुम मेरा साथ दो न दो मैं अपनी आत्मा को मरने नहीं दूंगा। ज्ञानवापी पर भी बोलूंगा थोड़ा वक्त निकल जाए फिर मथुरा पर भी बोलूंगा । ज्ञानवापी पर तो सिर्फ बोला है मथूरा पर बोलूंगा नहीं मथुरा पर लड़ूंगा । सिर्फ बोलना नहीं हैं मथुरा पर, मथुरा के लिए लड़ना है। और दमदारी से लड़ना है।
पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को अपने हक में लड़ने के लिए अहिंसा का रास्ता दिखाते हुए कहा- कि हाथ में तलवार लेके नहीं लड़ना, पत्थर लेके नहीं लड़ना, जो मेरे भारत देश का संविधान मुझे अधिकार देता है उस संविधान का आश्रय लेके मथुरा की जन्मभूमि लेके रहेंगे। मथुरा हमारा था, मथुरा हमारा है और मथुरा हमारा रहेगा। मेरे श्री कृष्ण का जन्म स्थान हम संविधान के अनुसार वापस लेके रहेंगें।
आज भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया गया।
श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस पर सभी भक्तो को पुतना उद्धार, श्री कृष्ण की बाल लीलाओ एवं गोवेर्धन पूजा का सुन्दर वर्णन श्रवण कराया जायेगा।
GIPHY App Key not set. Please check settings