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ब्रज चौरासी कोस यात्रा एवं श्रीमद् भागवत कथा का पहला दिन की हुई शुरुआत 

Bharat Darshan Team की ओर से  पूज्य श्री Devkinandan Thakur Ji महाराज के सानिध्य में 03 से 09 जून तक ब्रज दर्शन यात्रा – 2022 एवं श्रीमद भागवत कथा का आयोजन ठा. श्री प्रियाकांत जू मंदिर, शांति सेवा धाम, वृंदावन में किया जा रहा है।

श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस की शुरुआत आरती और विश्व शांति के लिए Pray के साथ की गई।

पूज्य महाराज श्री ने श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए भक्तों को भजन “भजन- प्रभू हम पे कृपा करना , प्रभू हम पे दया करना” श्रवण कराया।

जिसके घर में भागवत हो, जिसके ह्रदय में भागवत हो, जिसके कान में भागवत हो उसका काल कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।

पूज्य महाराज श्री ने कथा की शुरुआत श्रीमद् भागवत कथा के पहले श्लोक से की और भक्तों को वृंदावन में श्रीमद् भागवत कथा सुनने का महत्व बताया। आज भक्तजनों ने दाउ जी महाराज के दर्शन किए। और ब्रह्मांड घाट भी गए जहां एक समय पर ठाकुर जी महाराज अपने ग्वालबालों के साथ खेला करते थे। पूज्य महाराज श्री ने भक्त जनों को 84 कोस यात्रा का भी महत्व समझाया और कहा कि 84 कोस की परिक्रमा कोई भाग्यवान ही कर सकता है।

देश में इन दिनों ज्ञानवापी मस्जिद का मु्द्दा चरम पर है। जिसे लेकर पूज्य महाराज श्री भी नैशनल टीवी चैनल्स की डिबेट में अपना पक्ष रखते हुए नज़र आते हैं। जिसका ज़िक्र महाराज श्री ने खुद भागवत कथा की शुरुआत में करते हुए कहा कि अब तो विश्व शांति के लिए प्रार्थना करने में भी झिझक लगती है। बीते दिनों में बहुत लड़ाई लड़ी जा रही है जिस दौरान बहुत से लोगों के नए-नए रुप सामने आ रहे हैं।

आगे महाराज श्री कहते हैं – कि जहां नित्य मेरी कथा होती है, वहां विष्णू पार्षद नित्य प्रहलाद जी इत्याद वहां पर वास करते हैं। जो मनुष्य सदा नित्य भागवत जी की पूजन करते हैं। पुष्प अर्पित करते हैं चंदन का तिलक लगाते हैं तुलसी दल अर्पित करते हैं, ऐसे लोगों को काल भी भयभीत नहीं कर सकता क्युंकि वह कल के अधिकार से बाहर हो जाते हैं।

यदि आप भागवत कथा नहीं कर पा रहे हैं और केवल तुलसी, चंदन और दीपक आरती कर दीजिए । इतना मात्र करने से काल भी आपका कुछ नहीं कर पाएगा। काल आपसे दूर हो जाएगा। महाराज श्री आगे कहते हैं कि ऐसा काल आपसे डरेगा इसका मतलब ये नहीं कि आप मरेंगें नहीं, मृत्यु एक सत्य है लेकिन इससे आपको वो मृत्यु मिलेगी जो ठाकुर जी आपको अमर कर अपने धाम ले जाएंगे। इस में एक प्रश्न ये भी कि प्रहलाज जी, मीरा जी, ध्रुव जी मरे हैं क्या? क्या इन्हें हम मरा हुआ कहेंगें? यदि केवल इतनी पूजन की विधि भी अपनाएंगे तो आप इन्हीं के श्रेणी में आजाएंगे। क्युंकि भगवान के वैष्णव भक्त कभी मरते नहीं हैं। वो भक्त सीधा ठाकुर जी के धाम में प्रवेश करते हैं।


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Written by Amardeep Jha

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