बनारसी से लेकर हावड़ा तक जाने वाली बुलेट ट्रेन गंगा नदी के ऊपर से होकर गुजरेगी। इस बुलेट ट्रेन के लिए लगभग 10 स्टेशन बनाए जाएंगे।760 किलोमीटर लंबे फ्लाई ओवर पर अप व डाउन रेल ट्रैक बिछेगी। मार्ग में कम से कम यू टर्न आए और ट्रेन कहीं घूमे नहीं, इसका विशेष ध्यान रखा जाए रहा है।
आपको बता दें कि हवा की गति और जमीन की नमी के जांच के लिए 13 तरह की मशीनें लगाई गई हैं। 26 कर्मी काम कर रहे हैं। नदियों के ऊपर निकलने वाले इस ट्रैक पर 260 किलोमीटर की रफ्तार से हाई स्पीड बुलेट ट्रेन चलेगी। ट्रेन उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड होते हुए कोलकाता पहुंचेगी। एक साल में डीपीआर तैयार होगा जाएगा और 2030 में काम को पूरा कर लिया जाएगा।
आपको बता दें कि कोरोनावायरस के कारण इस काम में थोड़ा लेट हो गया लेकिन अब जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
हवाई और जमीन सर्वे के बाद इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कर काम को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके पूरा होने के बाद कैंट से हावड़ा तक का सफर महज पांच घंटे में पूरा हो सकेगा।
प्रोजेक्ट की किसानों को जानकारी दी जा रही है। नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड ट्रेन के संचालन में सुरक्षा संबंधित तकनीकी कारणों को ध्यान में रखते हुए, इसे पूरे ट्रैक को एलिवेटेड बनाएगा। इसलिए इस प्रोजेक्ट के प्रत्येक कदम पर बेहद सतर्कता बरती जा रही है।हर कदम फूंक-फूंककर रखा जा रहा है। इसके सर्वे रिपोर्ट के आधार पर शीघ्र ही विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जाएगी।
760 किमी में बनेंगे 10 स्टेशन
कैंट से हावड़ा तक की दूरी लगभग 760 किमी है। नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड 12 स्टेशनों का निर्माण कराएगा। बनारस, बक्सर, आरा, पटना, गया, धनबाद, अखनौल, दुर्गापुर, बर्धमान, हावड़ा सहित अन्य महत्वपूर्ण स्थानों को चिह्नित किया जा रहा है। 260 व 180 किलोमीटर के अंदर एक स्टेशन बनेगा। छोटी से छोटी बात का बारीकी से अध्ययन कर कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है।
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