आज के समय में अधिकतर लोग नौकरी के साथ बिजनेस करना चाहते हैं क्योंकि बढ़ती महंगाई में लोगों का खर्च भी बढ़ गया है ऐसे में कम सैलरी वाली नौकरी से काम नहीं चल पाता है। आपकी अगर खेती किसानी से जुड़े आदमी है और आप कृषि से जुड़े बिजनेस स्टार्ट करने में इंटरेस्ट रखते हैं तो यह खबर आपके लिए काफी काम की है। आप अखरोट की खेती स्टार्ट करके हर महीने लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं।
त्योहारों में मिलने वाले ड्राई फ्रूट्स के उन डब्बों में अखरोट की मौजूदगी हमेशा से ही रहती है|चाहे दिवाली हो, क्रिसमिस हो या शादी का समय हो अखरोट हर जगह देखा जा सकता है|इसके बिना कोई भी त्योहार अधूरा सा लगता है|आप अगर पूजा पाठ के प्रसाद में देखें तो भी इसकी मौजूदगी नज़र आ जाएगी क्यों की ड्राई फ्रूट्स में इसकी उपयोगिता मुख्य होती है|
भारत में कहाँ होती है खेती-
भारत में इसकी खेती हिमचल प्रदेश, उत्तराखंड, कश्मीर के कुपवाड़ा, उड़ी, द्रास और पुंछ आदि बर्फीली घाटियों और अरूणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है| इससे ना सिर्फ भारत में ही बल्कि विश्व के अलग अलग देशों में बड़े पैमाने की जाती है|
अखरोट की किस्में-
अखरोट मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है जंगली अखरोट और कृषिजन्य अखरोट है :
1.जंगली अखरोट : इस पेड़ की सामन्य ऊंचाई लगभग 100 से 200 फुट तक होती है|
2 .कृषिजन्य अखरोट : इसके पेड़ की सामन्य ऊंचाई लगभग 40 से 90 फुट तक होती है|
खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
अखरोट समुद्र तल से करीब 1100 से 2200 मीटर की उंचाई पर लगने वाले अखरोट का फल बहार से एक हरे आवरण में लिपटा हुआ किसी गोल आकार की कैरी की तरह नजर आता है|
अखरोट को फलने फूलने के लिए मौसम का तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेट से नीचे होना चाहिए।
जैसे ही इसका तापमान 2 से 4 सेंटीग्रेट तक बढ़ता है,वैसे ही फल की ऊपरी परत सूखने लगती है और ये फल तैयार हो जाता है|
जैसे ही अखरोट के पोधे को ग्राफ्टिंग सेतेयार होने के बाद हम सभी जानते है की शीतोष्ण कटिबंधी पोधो की रोपाई का काम ठण्ड के मौसम में यानि की जनवरी में की जाती है|
अखरोट की खेती के लिए 1 मीटर लम्बा, 1 मीटर चोडा और 1 मीटर गहरा गड्डे खोद कर उसमे अखरोट के पोधे को लगाते है|
खेती के लिए भूमि को किस प्रकार तैयार करें
आप जहाँ भी इसकी खेती करना चाहते हैं वहां की मिटटी की जांच अवश्य करा लें नहीं तो बाद में दिक्कत आ सकती है|जांच करने के बाद आप मिटटी में गड्डे खोद लें जब गड्डे की मिटटी बाहर आ जाये तब उसमें खाद (नत्रजन की 50 से 60 gm, फास्फोट की 40 से 45 gm और पोटाश की 35 से 40 gm मात्रा को 10 gm.गोबर) में मिला दें बाद में उस्सी मिटटी को अंडर दाल दें|
खाद का प्रयोग तब करें जब तक पेड़ फल देने योग्य नहीं हो जाता है|इसके बाद आप खाद का प्रयोग रोक सकते हैं|पर्वतीय क्षेत्र में अखरोट बहुतायत में होता है। अन्य फल की तुलना में ये एक लंबे समय तक (करीब 200 साल) इसकी खेती फायदा पहुंचाती है वर्तमान में अखरोट की वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर अच्छी पैदावार लेने का अब हमारे पास पहले से अच्छा मौका है|
माल किसे और कहाँ बेचें
अखरोट को बेचने के लिए आपको जादा दिक्कत नहीं होगी क्यों की ये एक अधिक मांग वाला फल है| ये भारत के आलावा विदेशों में भी निर्यात किया जाता है| आप चाहें तो इसे मंडी जाकर बेच सकते हैं या आप चाहें तो रिटेल में खुद की पैकिंग देकर भी बेच सकते है|
कई व्यपारी ऐसे हैं जो इसकी खेती का खर्चा भी अपने किसानों को देते हैं यहाँ तक की ये लोग अखरोट व अन्य ड्राई फ्रूट्स की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी कराते हैं| इसकी मांग अधिक होने के कारण कई बार त्य्हारों के समय पर 2 महीने पहले भी एडवांस देकर माल पूरा नहीं मिल पाता हैं|
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