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दो दिवसीय भारत दौरे पर आए जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कही असहज करने वाली बात

दो दिवसीय भारत दौरे पर आए जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने असहज करने वाली बात कही है । पीएम मोदी से रूस-यूक्रेन युद्ध पर चर्चा के दौरान जर्मन चांसलर ने दुनिया से रूस-यूक्रेन युद्ध पर यूक्रेन को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आह्वान किया। युद्ध की शुरुआत से ही भारत तटस्थ रुख अपनाए हुए है और कूटनीति के जरिए इसका हल निकालने पर जोर दे रहा है।

मुलाकात के दौरान दोनों नेताओ ने स्वच्छ ऊर्जा, कारोबार, रक्षा एवं नई प्रौद्योगिकी, आतंकवाद और रूस-यूक्रेन युद्ध समेत कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान पीएम मोदी के सामने ही असहज करने वाली बात कही है ।

यूक्रेन युद्ध अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन : स्कोल्ज

जर्मन चांसलर ने पीएम मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सख्त लहजे में दुनिया के देशों को रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आह्वान किया. भारत भी उन देशों में शामिल है जो रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं. भारत युद्ध की शुरुआत से ही बातचीत से हल निकालने का पक्षधर रहा है. 

जर्मन चांसलर का यह बयान इसलिए मायने रखता है क्योंकि संयुक्त राष्ट महासभा ने दो दिन पहले ही स्थायी शांति के लिए यूक्रेन युद्ध के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है. यूक्रेन और उसके समर्थक देशों की ओर से लाए गए इस प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं की. भारत ने इससे पहले भी युद्ध से जुड़े ऐसे सभी प्रस्तावों पर वोटिंग नहीं की थी. 
जर्मन चांसलर ने जोर देते हुए कहा कि यूक्रेन युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय कानून के मौलिक सिद्धांतों का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि बॉर्डर को बदलने के लिए हिंसा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र में हम इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें. हम बार बार-बार बहुत स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि हम इस विषय पर कहां खड़े हैं. 

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्कोल्ज ने कहा कि यूक्रेन युद्ध से भारी तबाही हो रही है। यूक्रेन में रूस ने शहरों, रेलवे लाइनों और पावर ग्रिड को नष्ट कर दिया है जिससे भारी नुकसान हुआ है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत ने बातचीत और कूटनीति के माध्यम से समाधान का आह्वान किया है. भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है. 


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Written by Amardeep Jha

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