
भारतीय क्रिकेट जगत की महान प्रतिभा सलीम दुरानी का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह गुजरात के जामनगर में अपने भाई के साथ रह रहे थे।सलीम दुर्रानी भारतीय क्रिकेट जगत में एक अप्रत्याशित प्रतिभा थी , जो कुछ गेंद या छक्कों से मैच का रंग ही बदल देते थे। वह कुछ शॉटों या विकेटों से मैच का पासा पलटने में सक्षम थे। एक आक्रामक बाएं हाथ के बल्लेबाज दुर्रानी , जो बेहतरीन गेंदबाजों को ध्वस्त कर सकते थे। उन्होंने दर्शकों की मांग पर छक्के मारने की प्रतिष्ठा हासिल की। उनके जबरदस्त छक्के दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देते थे। सबसे पहले एक गेंदबाज के रूप में ही उन्होंने सबसे पहले भारतीय क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई। उनकी बेहतरीन गेंदबाज़ी का वर्णन करना मुश्किल था। दुर्रानी अपनी ऊँची हाइट के कारण गेंदों में आसानी से तरह तरह के जादुई मोड़ दे सकते थे ।
सलीम दुर्रानी ने 1961-62 में इंग्लैंड पर जीत के लिए भारत को गेंदबाजी की। कलकत्ता और मद्रास में देश की जीत में लगातार आठ और दस विकेट लिए। लगभग दस साल बाद उन्होंने एक और उल्लेखनीय जीत को आकार देने में मदद की – इस बार पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्ट इंडीज पर – क्लाइव लॉयड और गैरी सोबर्स को आउट करके। टेस्ट में उनका एकमात्र शतक 1962 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ था। दुर्रानी का दर्शकों के साथ एक विशेष तालमेल था, जो एक बार उत्तेजित हो गए थे, जब उन्हें 1973 में कानपुर टेस्ट में उनका नाम बिना कारण हटा दिया गया था। वहां बड़े बड़े पोस्टर तथा नारे नजर आ रहे थे , ‘नो दुर्रानी, नो टेस्ट’ । ‘। एक लंबा, सुंदर फिगर, दुर्रानी का मूवी स्टार लुक था वह 70 के दशक की शुरुआत में परवीन बाबी के साथ एक फिल्म में दिखाई भी दिए थे।
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