विशेष लोक अभियोजक उत्कर्ष वत्स ने कहा कि पीड़िता के पिता ने 23 सितंबर 2013 को विजय नगर में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
सुनवाई के दौरान अमित ने आरोपों से इनकार किया और मुकदमे का सामना करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘मैंने लड़की के पिता को 50,000 रुपये कर्ज के रूप में दिए थे. जब मैंने उससे पैसे लौटाने को कहा तो उसने मुझे फर्जी मामले में फंसा दिया।
अभियोजन पक्ष ने इस मामले में पीड़िता, उसके माता-पिता, डॉक्टर और पुलिस अधिकारियों सहित नौ गवाह पेश किए। पीड़िता ने अदालत को बताया कि आरोपी ने उसे अपने कमरे में बुलाया और कमरे को अंदर से बंद कर दिया। उसने वहां मेरा बलात्कार किया। जब मैंने शोर मचाया तो स्थानीय लोग दरवाजा तोड़ने के बाद मेरे बचाव में आए।
लड़की की मेडिकल जांच करने वाली डॉ अनीता जोशी ने कहा कि उसे कोई बाहरी चोट नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘आंतरिक जांच से पता चला कि उसका हाइमन फट गया था। हालांकि, बलात्कार की पुष्टि की राय नहीं दी गई थी।
बचाव पक्ष के वकील अंतेश चौधरी ने कहा कि चूंकि बलात्कार के बारे में कोई पुष्ट राय नहीं है, इसलिए बयान यह साबित नहीं कर सकते कि बलात्कार किया गया था।
विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) तेंद्र पाल ने गवाहों की गवाही और सबूतों पर भरोसा किया और अमित झा को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
(यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पीड़िता की गोपनीयता की रक्षा के लिए उसकी पहचान का खुलासा नहीं किया गया है)
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