in

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली राजनीतिक संजीवनी

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम अपेक्षाओं के खिलाफ रहे। चुनाव पूर्वानुमान और एग्जिट पोल दोनों राज्य में भाजपा के खिलाफ असंतोष का संकेत दे रहे थे। भाजपा इस ताकतवर सत्ता विरोधी लहर के खिलाफ लड़ने का पूरा प्रयास कर रही थी, लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली। इस तरह देखा जाए तो, भाजपा की कमजोरियां कांग्रेस की ताकत के खिलाफ बलवान नजर आ रही थीं।

यदि हम हार-जीत के कारणों का पता लगाने का प्रयास करें तो इस चुनाव में सत्ता के परिवर्तन को स्वाभाविक माना जा सकता है। क्योंकि पिछले कुछ समय से कर्नाटक उन राज्यों में शामिल होता है, जहाँ कोई भी पार्टी दूसरी बार सत्ता में नहीं आती है और यहां अक्सर स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है। इस बार भी एक अनुमान यही था कि सत्तारूढ़ पार्टी हारेगी, लेकिन कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत हासिल करने में सफलता पाई। इस चुनाव में कांग्रेस के मतों में करीब पांच से छह प्रतिशत की बढ़ोतरी साबित हुई जो निर्णायक है।

जनादेश से स्पष्ट होता है कि जनता राज्य सरकार के कामकाज से खुश नहीं थी। सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से लड़ रही थी। कुछ स्थानीय मुद्दों और महंगाई से बढ़ती परेशानियों ने भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ाईं। पार्टी आंतरिक कलह से भी जूझ रही थी। चुनाव से ठीक पहले कई पुराने दिग्गज पार्टी छोड़ दिए थे। मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई की लोकप्रियता भी सिद्दरमैया या येदियुरप्पा जैसी नहीं थी। भाजपा इस कमजोरी को महसूस करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अंत में भरसक प्रयास किए, लेकिन लगता है कि उनके प्रयास असफल रहे।

कांग्रेस पार्टी के पांच वादों या गारंटी से जुड़े सकारात्मक प्रचार ने मतदाताओं पर असर डाला। गरीब वर्ग और पिछड़े जातियों से पार्टी को समर्थन मिला, जो इस बात की पुष्टि करता है। अभी तक इसका स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन शुरुआती आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि हिजाब से लेकर बजरंग दल के मुद्दे पर भाजपा को कोई विशेष फायदा नहीं हुआ। लेकिन मुस्लिम ध्रुवीकरण के मुद्दे पर कांग्रेस को फायदा हुआ। आंतरिक गुटबंदी से न केवल भाजपा, बल्कि कांग्रेस भी परेशान थी। लेकिन राज्य में पार्टी के दो बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने चुनाव प्रचार के दौरान सही तालमेल दिखाई और कार्यकर्ताओं, समर्थकों, प्रत्याशियों और मतदाताओं को यह संदेश दिया कि सब कुछ ठीक है।

What do you think?

Written by KP Singh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

GIPHY App Key not set. Please check settings

शुक्रवार रात को दिल्ली में अपराध शाखा की 80 टीमों ने ऑपरेशन कवच के तहत नशे के कारोबारियों पर की छापेबारी

नोएडा की एक सुंदरी बाइक पर घूम-घूमकर नशे की दुकान चलाती थी, सपनों को पूरा करने के लिए वह बुलंदशहर से आई थी, लेकिन उसे तस्कर बना दिया गया।