
गुजरात का कच्छ कभी पक्षियों के लिए स्वर्ग कहा जाता जाता था अब यह क्षेत्र पक्षियों के कब्रिस्तान में बदलता नज़र आ रहा है। कच्छ जिले के अब्दासा क्षेत्र में बिजली की लाइनों से प्रति वर्ष करीब 30,000 पक्षियों के मरने का अनुमान है। राजस्थान के थार क्षेत्र में भी बिजली की लाइनों टकराने से करीब 1,00,000 पक्षी प्रतिवर्ष मारे जाते हैं। कच्छ में एक बर्डवॉचर तथा एक्टिविस्ट नवीनभाई बापट ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा क्योंकि गुजरात सरकार ने पक्षियों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की थी। अप्रैल 2021 में, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात (कच्छ सहित) और राजस्थान के प्राथमिकता और संभावित आवास में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सुरक्षा के लिए बिजली लाइनों को भूमिगत करने का आदेश जारी किया और सभी बिजली लाइनों पर बर्ड डायवर्टर लगाने का निर्देश दिया था । गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार भूमिगत बिजली लाइनें बिछाने का काम शुरू कर दिया है। पक्षी मृत्यु दर को कम करने के लिए अन्य बिजली एजेंसियों को भी इसका पालन करना चाहिए।
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