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एक ऐसा IAS अफसर जिसने पेश की मिसाल,शादी के दौरान सात की जगह लिए 8 फेरे,नौकरी में कभी रिश्वत ना लेने की खाई कसम,जाने प्रशांत की कहानी


भारत के ज्यादातर युवा सरकारी परीक्षा पास करके अच्छी नौकरी प्राप्त करने का सपना देखते हैं, ताकि उनका जीवन सुखद गुजरे। हालांकि परीक्षा पास करने के बाद सरकारी पद मिलते ही कुछ युवा ज़्यादा पैसे कमाने के लालच में रिश्वत लेने की भूल कर बैठते हैं, जिसकी वज़ह से देश में भ्रष्टाचार बढ़ता है।

लेकिन अगर कोई व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करे और भ्रष्टाचार को बढ़ावा न देने की क़सम खाए, तो सरकारी दफ्तरों के साथ-साथ देश का भविष्य भी चमक उठेगा। ऐसी ही सोच रखते हैं उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारी प्रशांत नागर (IAS Prashant Nagar) , जिन्होंने अपनी शादी के जरिए समाज और युवाओं को अनोखा संदेश दिया है।

प्रशांत नागर… ज़िम्मेदार IAS और बेहतरीन इंसान
उत्तर प्रदेश के रहने वाले प्रशांत नागर (IAS Prashant Nagar) हाल ही में शादी के बंधन में बंधे हैं, जो अयोध्या में जॉइंट मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात हैं। प्रशांत नागर अपने पद से ज़्यादा अपनी शादी को लेकर सुर्खियाँ बटौर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने शादी के जरिए समाज को एक सकारात्मक संदेश देने का काम किया है।

प्रशांत नागर ने एक बेहतरीन इंसान और ज़िम्मेदार नागरिक की मिसाल पेश करते हुए अपनी शादी में जरा-सा दिखावा नहीं किया और सादगी के साथ फेरे लिये। प्रशांत ने दिल्ली की रहने वाले डॉक्टर मनीषा भंडारी से शादी की है और लड़की वालों से शगुन के रूप में सिर्फ़ 101 रुपए लिये।

7 की जगह लिए 8 फेरे
प्रशांत और मनीषा की शादी लॉकडाउन में हुई है, इसलिए उनके शादी समारोह में सभी नियमों का पालन किया गया था। बारात में सिर्फ़ 11 लोग ही शामिल हुए थे, जबकि करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों को सोशल मीडिया के जरिए शादी की जानकारी दी गई थी।

प्रशांत और मनीषा ने अपनी शादी के जरिए समाज को दहेज न लेने और देने का सकारात्मक संदेश दिया है, ताकि किसी भी परिवार के लिए लड़की बोझ साबित न हो। इसके साथ ही प्रशांत ने अपनी मंगेतर के साथ 7 के बजाय 8 फेरे लिए और आठवें वचन के रूप में अपनी नौकरी के दौरान कभी भी रिश्वत न लेने की क़सम खाई।

इतना ही नहीं रणजीत नागर ने अपने बेटी की शादी भी बिना दहेज दिए ही संपन्न की थी और वर पक्ष ने शगुन के रूप में सिर्फ़ 101 रुपए लिये थे। दरअसल रणजीत नागर का मानना है कि शादी में बेवजह पैसे ख़र्च करना समझदारी नहीं है, बल्कि उन पैसों से गरीब और ज़रूरतमंद लड़कियों का विवाह संपन्न करने का प्रयास करना चाहिए।

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Written by Jyoti Mishra

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